सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि समिति की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल करेंगी और इसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी जोशी और आशा मेनन शामिल होंगी।
Manipur Violence: Supreme Court constitutes all-women judicial committee to oversee probe and suggest compensation, remedies
report by @DebayonRoy #ManipurViolence #SupremeCourt https://t.co/yCyjP3Qk67
— Bar & Bench (@barandbench) August 7, 2023
सीजेआई ने कहा, इसका गठन पुनर्वास, मुआवजे सहित जांच के अलावा अन्य पहलुओं पर गौर करने के लिए किया गया है।
शीर्ष अदालत ने जांच की निगरानी करने और अदालत को रिपोर्ट करने के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी दत्ता पडसलगीकर को नियुक्त करने का भी फैसला किया। अदालत ने सीबीआई जांच की निगरानी के लिए अन्य राज्यों से डीवाईएसपी रैंक से नीचे के पांच अधिकारियों को लाने का प्रस्ताव रखा है।
Panel of judges to be headed by former J&K HC chief justice Gita Mittal. Other two members are retired judges Asha Menon and Shalini P Joshi.
Dattatray Padsalgikar, former deputy national security advisor & ex-Maharashtra DGP, to supervise the #CBI probe.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) August 7, 2023
इसके अलावा सरकार द्वारा गठित 42 एसआईटी को मणिपुर के बाहर के 6 डीआइजी रैंक के अधिकारियों द्वारा निगरानी करने का निर्देश देने का भी प्रस्ताव किया गया है।
अदालत ने कहा कि इन एसआईटी में मणिपुर के बाहर से एक इंस्पेक्टर होना चाहिए।
मणिपुर के बाहर मुकदमों को स्थानांतरित करने पर किसी भी आदेश से इनकार करते हुए, अदालत ने कहा, “मुकदमों को स्थानांतरित करना जल्दबाजी होगी। हम अभी भी जांच के इस चरण में हैं। हम समिति से रिपोर्ट मांग रहे हैं।”
सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जोर देकर कहा कि मामले में कोई बड़ी छलांग नहीं लगाई जा सकती और इसे चरण दर चरण आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने मामलों के पृथक्करण सहित मुद्दों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जो शीर्ष अदालत ने 1 अगस्त को मांगी थी। अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया, “सरकार बहुत परिपक्व स्तर पर स्थिति को संभाल रही है।”
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस स्तर पर पुलिस पर पूरी तरह भरोसा नहीं करना उचित नहीं होगा।
इससे पहले 1 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा था कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से चरमरा गई है। कोर्ट ने जातीय हिंसा की घटनाओं, विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाने वाली घटनाओं की “धीमी” और “सुस्त” जांच के लिए राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी।