राज्यसभा ने सोमवार को वह विधेयक पारित कर दिया जो दिल्ली के उपराज्यपाल को नियुक्तियों, तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित मामलों सहित दिल्ली में ग्रुप ए सेवाओं को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) विधेयक, 2023 पर लगभग आठ घंटे की बहस के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। अमित शाह के जवाब के बाद इस बिल पर वोटिंग हुई। विपक्षी नेताओं की ओर से प्रस्तावित किए गए सभी संशोधन ध्वनिमत से नकार दिए गए। बिल पर हुए मतदान में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े। इसी के साथ बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति से मुहर लगने के बाद ये बिल मई में आए अध्यादेश की जगह लेगा।
राज्यसभा में वोटिंग कराने के लिए पहले मशीन से वोटिंग का प्रावधान समझाया गया. लेकिन थोड़ी देर बाद उपसभापति ने घोषणा की कि मशीन में कुछ खराबी है इसलिए वोटिंग पर्ची के जरिए कराई जाएगी। विधेयक पर मतदान विभाजन पर्चियों का उपयोग करके किया गया। विपक्ष ने दिल्ली सेवा विधेयक पर मत विभाजन की मांग की थी। यह विधेयक, जो आम आदमी पार्टी और केंद्र के बीच विवाद का विषय रहा है, 3 अगस्त को लोकसभा में पारित किया गया था।
दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दो सदस्य (बीजद सांसद सस्मित पात्रा और भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी) कह रहे हैं कि उन्होंने AAP सांसद राघव चड्ढा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव (चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। अब यह जांच का विषय है कि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कैसे हो गए। एआईएडीएमके सांसद डॉ. एम. थंबीदुरई का भी दावा है कि उन्होंने कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और यह विशेषाधिकार का मामला है। इस पर राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि चार सांसदों ने मुझे लिखा है कि उनकी ओर से कोई सहमति नहीं दी गई है और इसकी जांच की जाएगी।
इस पर AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि जब विशेषाधिकार समिति नोटिस भेजेगी तो मैं उन्हें जवाब दूंगा। मुझे नोटिस मिलेगा तो मैं उसका जवाब दूंगा। सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि दिल्ली की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बिल लाया गया है। इस बिल का मकसद भ्रष्टाचार को रोकना है। इसके उद्देश्य संविधान के मुताबिक ही है। इस बिल का कोई भी प्रावधान संविधान का उल्लंघन नहीं करते। कांग्रेस सिर्फ आम आदमी पार्टी को खुश करने के लिए दिल्ली से संबंधित विधेयक का विरोध कर रही है।
शाह ने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह विधेयक किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है। यह विधेयक दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है।
इमरजेंसी के दौर पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी पीएम को बचाने के लिए नहीं है। अमित शाह ने हंगामे के बीच कहा, “कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है। शाह ने कहा कि AAP की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी। इस देश के पूर्व पीएम की सदस्यता बचाने के लिए ये बिल नहीं लाए। जब यह बिल पर चर्चा कर रहे थे, तो मुझे डेमोक्रेसी समझ रहे थे। तो अब मैं उनको समझा रहा हूं कि डेमोक्रेसी क्या है? इमरजेंसी में 3 लाख से ज्यादा राजनीतिक दल के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। सारे अखबारों को सेंसर में डाल दिया गया था।”
गृह मंत्री ने कहा कि 19 मई 2023 को लाए गए अध्यादेश के जगह हम विधि द्वारा व्यवस्था को स्थापित करना चाह रहे हैं। दिल्ली कई माइनों में सभी राज्यों से अलग प्रदेश है। यहां सुप्रीम कोर्ट है, एबेंसी हैं, यहां पर है देश की राजधानी है। बार-बार दुनियाभर के राष्ट्रीय अध्यक्ष यहां पर चर्चा करने के लिए आते हैं. इसीलिए दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बनाया गया. यहां की सरकार को सीमित मात्र अधिकार दिए गए हैं।
अमित शाह ने राघव चड्ढा के बयान का जवाब देते हुए कहा कि अच्छे शब्दों से असत्य सत्य नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पावर लेने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार को पहले से ही 130 करोड़ जनता ने पावर दी हुई है। शाह ने कहा कि बिल का एक भी प्रावधान गलत नहीं है। हम विधि द्वारा स्थापित व्यवस्था लाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले का उल्लंघन नहीं है। बिल का मकसद भ्रष्टाचार रोकना है। ऊपर नीचे अलग-अलग पार्टी की सरकार रही दिल्ली में। किसी का 2015 तक कोई झगड़ा नहीं हुआ। सभी विकास करना चाहते थे. उस वक्त ऐसी व्यवस्था से निर्णय होते थे और ट्रांसफर पोस्टिंग में कोई झगड़ा नहीं होता था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने AAP पर हमला बोलते हुए कहा कि शराब घोटाले का भी जिक्र किया। शाह ने केजरीवाल के आवास को लेकर ‘शीशमहल’ शब्द का भी इस्तेमाल किया। इस पर संसद में जोरदार हंगामा हो गया। इस पर अमित शाह ने कहा कि शीशमहल में असंसदीय कुछ भी नहीं है। शाह ने अपने बयान से AAP पर हमला बोलते हुए कहा कि इनका उद्देश्य विजिलेंस विभाग में तबादले कराना है। शाह ने कहा कि आधी रात में AAP के नेताओं ने विजिलेंस विभाग में जाकर कागजों को इधर-उधर किया।
अमित शाह ने कहा कि जिस विजिलेंस को निशाना बनाया गया, उसी विजिलेंस के पास मुख्यमंत्री के बंगले की फाइल थी, जिसमें 6 गुना ज्यादा खर्च हुआ। इनके पास इंटेलिजेंस यूनिट नहीं है पर इन्होंने फीडबैक यूनिट बनाया, जिसकी जांच और जानकारी इकट्ठा करने इसकी जांच भी विजिलेंस के पास है। अगर यह ना करते तो सारे घोटालों की फाइल को गुम करने का विजिलेंस जांच करना पड़ता। आधी रात को जो फाइल इधर-उधर करने की कोशिश हुई, यह भी इमरजेंसी थी। शाह ने कहा कि इसीलिए ऑर्डिनेंस लाना पड़ा जो कि संविधान सम्मत है। इसमें गैर संवैधानिक क्या है?
मणिपुर के मुद्दे पर भी अमित शाह ने कहा कि मैं पहले ही पत्र लिख चुका हूं कि मैं हर दम चर्चा के लिए तैयार हूं। हमें इस मुद्दे पर कुछ छिपाना नहीं है। छिपाना आपको कुछ होगा इसीलिए आप चर्चा के लिए तैयार हैं। शाह ने कहा कि विपक्ष धारा 267 के तहत चर्चा चाहती है जिसका उद्देश्य राज्यसभा में वोटिंग होना है। शाह ने कहा कि वोटिंग से विपक्ष को कुछ हासिल होना नहीं है। अगर वोटिंग से कुछ होना होता तो यह हमारे किसी बिल को गिरा लें। अमित शाह ने कहा कि हम 11 अगस्त को चर्चा के लिए तैयार हैं।
इस दौरान किसी सांसद मे अमित शाह को टोका तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, कह रहे हैं कि नागपुर से इशारा आता है। मान लीजिए नागपुर से इशारा आता है, तो नागपुर तो भारत में है। लेकिन ये लोग तो चीन और रशिया से इशारा लेते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर राज्यसभा सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि मैं एक नामांकित सदस्य के रूप में चिंतित हूं जो किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं है, मुझे केवल इस बात की चिंता है कि क्या विधेयक संवैधानिक रूप से वैध है और वहां मैंने यह कहते हुए एक भाषण दिया कि यह संवैधानिक रूप से वैध है। मैंने विधेयक की आवश्यकता पर कुछ नहीं बोला, मैंने वैधता पर बात की।
विधेयक पर बहस के दौरान भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 105 पन्नों के फैसले में कहीं भी दिल्ली पर कानून पारित करने के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है… सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 86, 95 और 164 F में कहा गया है कि संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने के सारे अधिकार है।
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिल्ली में भय का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली सेवा विधेयक संविधान के खिलाफ है। सिंघवी ने कहा कि भाजपा किसी भी तरीके से चीजों को नियंत्रित करने की है। यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है और लोकतंत्र विरोधी है। यह क्षेत्रीय ताकतों और दिल्ली के लोगों की आकांक्षाओं पर हमला है। यह संघवाद के सिद्धांतों, प्रशासनिक सेवाओं की जवाबदेही और लोकतंत्र आधारित विधानसभा के सभी प्रारूपों का उल्लंघन करता है।
AAP सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बोलते हुए कहा कि ये राजनैतिक धोखा है। उन्होंने कहा कि एक टाइम वो भी था जब भारतीय जनता पार्टी ने खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। राघव चड्ढा ने अमित शाह का लोकसभा में दिए बयान पर भी पलटवार किया।
शाह ने लोकसभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के बयान को दोहराते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था। इसी बयान का पलटवार करते हुए राघव चड्ढा ने गृहमंत्री को नसीहत दी कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आप तो बस आडवाणीवादी बनिए, जिन्होंने कि खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठाई थी। राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा के पुराने नेताओं ने 40 वर्षों तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग की लेकिन आज के नेताओं ने इस पूरे संघर्ष को मिट्टी में मिलाने का काम किया है।
राज्यसभा सभापति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन को सदन की मर्यादा को बिगाड़ने की चेतावनी दी। सत्र में चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए।
इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली के लोग दिल्ली के बेटे को पसंद करते हैं, वे आपके जैसा नेता नहीं चाहते।’ उन्होंने कहा कि शहर के निवासी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को “एक भी सीट” नहीं देंगे।
उन्होंने इंडिया ब्लॉक की उन सभी पार्टियों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने दिल्ली सेवा विधेयक पर आप का समर्थन किया।
बता दें की इस विधेयक में ‘राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण’ के गठन का प्रावधान है, जिसमें मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे। प्राधिकरण अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग और अनुशासनात्मक मामलों के संबंध में उपराज्यपाल (एलजी) को सिफारिशें करेगा। ये विधेयक एलजी को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित मामलों और दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने सहित कई मामलों पर अपने विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है। यह विधेयक विभाग के सचिवों के किसी भी मामले को एलजी, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के संज्ञान में लाने के लिए अधिकृत करता है। प्राधिकरण के सिफारिश पर आखिरी फैसला एलजी का होगा। अगर कोई मतभेद होता है तो आखिरी फैसला एलजी का ही माना जाएगा।