प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले की जांच में राजद प्रमुख लालू यादव के परिवार से जुड़ी 6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। यह मामला 2004 और 2009 के बीच केंद्रीय रेल मंत्री रहने के दौरान यादव के परिवार को उपहार में दी गई या बेची गई भूमि के बदले में रेलवे में की गई कथित नियुक्तियों से संबंधित है। कथित तौर पर नौकरियों के बदले में जमीन या तो यादव परिवार और उनके सहयोगियों को उपहार में दी गई या सस्ती दरों पर बेची गईं।
ED has provisionally attached 6 immovable assets located at New Delhi, Ghaziabad and Patna having book value of Rs. 6.02 Crore belonging to Smt. Rabri Devi, Smt. Misha Bharti (daughter of Lalu Yadav), Vineet Yadav (husband of Smt Hema Yadav D/o Lalu Yadav),
— ED (@dir_ed) July 31, 2023
Shiv Kumar Yadav (father-in-law of Smt. Hema Yadav), M/s A B Exports Pvt Ltd and M/s A K Infosystem Pvt Ltd., both companies owned & controlled by family members of Lalu Prasad Yadav under the provisions of PMLA, 2002 in the Railway job for land scam.
— ED (@dir_ed) July 31, 2023
लैंड पर जॉब घोटाला कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 के शासनकाल 2004-2009 के बीच की है। बिहार में 15 साल तक लगातार सत्ता के सिरमौर रहे लालू प्रसाद यादव उस समय केंद्रीय रेल मंत्री थे। सन 2008 में रेलवे में नौकरी देने के बदले अभ्यर्थियों से रिश्वत के रूप में जमीन ली गई। ये जमीन पटना सहित अन्य जगहों पर ली गई।
ईडी ने कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 18 मई को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की थी। पिछले कुछ महीनों में इस मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राजद सांसद मीसा भारती, चंदा यादव और रागिनी यादव सहित यादव परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ की गई है।
इस साल जुलाई में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लालू यादव, उनके बेटे और पत्नी सहित 18 लोगों के खिलाफ मामले में दूसरा आरोप पत्र दायर किया। जांच एजेंसी ने इस मामले में 18 मई 2022 को लालू यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों सहित 15 अन्य लोगों के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया था।
अपनी शिकायत में सीबीआई ने कहा कि 2004 से 2009 के दौरान भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप डी पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया था और नौकरी के बदले में उन लोगों ने अपनी जमीन प्रसाद के परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दी। सीबीआई ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।