संसद का मॉनसून सत्र 17 जुलाई से शुरू होने की संभावना है। इस बार के सत्र में सरकार के सामने कई मुद्दों पर विपक्षी एकता से लड़ने की चुनौती होगी। सबसे खास इस बार सांसद में दिल्ली के अध्यादेश को लेकर हंगामे के आसार है। वही विपक्ष मणिपुर,महंगाई समेत तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास करेगी। सूत्रों के मुताबिक संसद के इस सत्र का कुछ दिन नए संसद भवन में भी होने की संभावना है। नए संसद भवन का 28 मई को शिलान्यास हुआ था और विपक्ष की 20 से अधिक पार्टियों ने इसका बहिष्कार किया था। अब पहली बार सभी विपक्षी सांसद नए सदन में जायेंगे और सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस बार के सत्र में प्रस्तावित राष्ट्रीय वित्तीय सूचना रजिस्ट्री (एनएफआईआर), डेटा संरक्षण और दिवालियापन समेत अन्य प्रमुख आर्थिक विधेयकों पर चर्चा होगी।
वैसे तो संसद के सत्र की तारीखों का आधिकारिक घोषणा अभी होना बाकी है लेकिन संभवतः मानसून सत्र 17 जुलाई से शुरू होकर अगस्त के पहले सप्ताह तक चलेगा। कर्नाटक विधानसभा में जोरदार प्रदर्शन और पटना में 23 जून की विपक्ष की बैठक के बाद एकजुटता के माहौल में विपक्षी दलों के हौसले भी बुलंद हैं। वहीं दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के मामले पर आम आदमी पार्टी ने लामबंदी भी की है लेकिन कांग्रेस को वो अभी तक अपने पाले में नही ला पाई है। वही सत्ता पक्ष के नेताओ का दावा है कि संसद में दिल्ली का अध्यादेश आराम से पास हो जायेगा।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते अभी नही खोले हैं, लेकिन ये तय है कि मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने की तैयारी में है। सरकार इस मुद्दे पर सदन में बयान भी देगी। इतना ही नहीं, बालासोर रेल त्रासदी को लेकर भी सरकार पर विपक्ष के हमलावर होने की पूरी संभावना है। वहीं बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे विपक्ष का सरकार के खिलाफ हथियार है।
ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस सत्र से पहले विपक्ष, विपक्षी दलों की हाल में हुई बैठक से उत्त्साहित हैं तो भाजपा, प्रधानमंत्री की सफल अमेरिकी यात्रा से। जाहिर है ऐसे में दोनों ओर से सदन में हंगामा तय है।
मानसून सत्र के लिए सरकारी एजेंडा अभी पूरी तरह तय नहीं है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, डिजिटल इंडिया एक्ट, जन्म-मृत्यु पंजीकरण संशोधन और दिल्लीअध्यादेश के स्थान पर बिल पारित कराना सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी सदन में बयान देंगे।