प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया है। अरोड़ा को मंगलवार को तीसरे दौर की पूछताछ के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया था। सुपरटेक ऑफ कम्पनीज और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ जांच में पाया गया था कि खरीददारों से फ्लैट्स के नाम पर मोटी रकम इक्क्ठा की गई और उन्हें समय पर पजेशन नहीं दिया गया और लोन का पैसा प्रोजेक्ट की जगह कहीं और इस्तेमाल किया गया।
ED arrests RK Arora, CMD of Real Estate company Supertech: Officials
Earlier in April ED provisionally attached 25 immovable properties at Rudrapur, Uttarakhand and Meerut Mall, Meerut, UP valued at Rs 40.39 Crores belonging to Supertech Group of Companies and their Directors,… pic.twitter.com/bg0qW97OU5
— ANI (@ANI) June 27, 2023
ईडी की कार्रवाई में यह भी पता चला है कि सुपरटेक लिमिटेड और ग्रुप की दूसरी कंपनियों ने होम बायर्स से पैसा जुटाया। साथ ही फ्लैट बनाने के नाम से बैंकों से लोन भी लिया। और इस फंड को ग्रुप की दूसरी कंपनियों के नाम जमीन खरीदने के लिए डायवर्ट कर दिया गया। इन जमीनों को फिर से बैंकों से कर्ज लेने के लिए गिरवी रख दिया गया। सुपरटेक ग्रुप ने बैंकों को पेमेंट करने में भी डिफॉल्ट किया। ऐसे करीब 1500 करोड़ के लोन एनपीए बन गए हैं।
सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग PMLA के तहत जांच तब शुरू हुई जब दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस विभागों द्वारा कई एफआईआर दर्ज किया गया। एफआईआर में सुपरटेक और उसके निदेशकों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था क्योंकि उन्होंने बुक किए गए फ्लैटों के लिए अग्रिम राशि के रूप में घर खरीदारों से धन एकत्र किया था, लेकिन उन्हें फ्लैट सौंपने में विफल रहे।
ईडी की तरफ से अरोड़ा के परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना दी गई। आरके अरोड़ा बिल्डरों के संगठन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नेरेडको) के अध्यक्ष भी हैं।
बता दें कि इससे पहले अप्रैल में ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत सुपरटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज और उनके निदेशकों से संबंधित 40.39 करोड़ रुपये मूल्य की रुद्रपुर और मेरठ में 25 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से ज़ब्त किया था। पिछले साल, अदालत के आदेश के बाद नोएडा में सुपरटेक के अवैध ट्विन टावरों को 3,000 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का उपयोग करके ध्वस्त कर दिया गया था।