दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस, गोरखपुर ने 2021 गांधी शांति पुरस्कार सम्मान के लिए चुने जाने के विवाद के बीच 1 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है। प्रधान मंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में गीता प्रेस का चयन करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं। उन्होंने लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में पिछले 100 वर्षों में सराहनीय काम किया है।”
I congratulate Gita Press, Gorakhpur on being conferred the Gandhi Peace Prize 2021. They have done commendable work over the last 100 years towards furthering social and cultural transformations among the people. @GitaPress https://t.co/B9DmkE9AvS
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2023
प्रकाशक ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह केवल प्रशस्ति पत्र स्वीकार करेगा। प्रकाशक ने सुझाव देते हुए कहा है कि सरकार को नकद पुरस्कार राशि कहीं और खर्च करनी चाहिए। पुरस्कार में एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु भी शामिल है। ये बात गीता प्रेस के प्रबंधक डॉ लालमनी तिवारी ने कही है।
#GitaPress in #Gorakhpur has refused to accept Rs one crore cash reward for the #GandhiPeacePeace. It said that it would only accept the citation and not the cash prize.
The announcement of the Gandhi Peace Award was made on Sunday.#GitapressGorakhpur pic.twitter.com/cppFaxZheW
— IANS (@ians_india) June 19, 2023
मालूम हो कि गोरखपुर स्थित गीता प्रेस की स्थापना साल 1923 में हुई थी। गीता प्रेस दुनिया में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ किताबों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता पुस्तकें शामिल हैं। खास बात ये है कि इस संस्था ने पैसा कमाने के लिए कभी भी अपने प्रकाशनों के लिए विज्ञापन नहीं लिए।
कांग्रेस ने गीता प्रेस को सम्मानित करने के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “सावरकर और गोडसे को पुरस्कृत करने जैसा” बताया है।
जयराम रमेश ने एक ट्ववीट में कहा, “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस साल अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”
The Gandhi Peace Prize for 2021 has been conferred on the Gita Press at Gorakhpur which is celebrating its centenary this year. There is a very fine biography from 2015 of this organisation by Akshaya Mukul in which he unearths the stormy relations it had with the Mahatma and the… pic.twitter.com/PqoOXa90e6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 18, 2023
हालाँकि सूत्रों से जानकारी मिली है कि कांग्रेस पार्टी जयराम रमेश के ट्वीट से सहमत नहीं है।
रमेश के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, ”…कांग्रेस से क्या उम्मीद की जा सकती है जिसने राम मंदिर निर्माण की राह में रोड़े अटकाए? जो तीन तलाक का विरोध करती है … गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार पर उनकी टिप्पणी से ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है? हम इसकी निंदा करते हैं… मैं भारी मन से कहना चाहता हूं कि देश पर शासन करने वाली पार्टी में अब माओवादी मानसिकता वाले लोग हैं, वे राहुल गांधी के भी सलाहकार हैं…इसका पूरे देश को विरोध करना चाहिए।”
#WATCH | On Congress' criticism of Gandhi Peace Prize 2021 conferred on Gita Press, BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "…What can be expected from Congress that created hurdles on the path to the construction of Ram Temple? The one that opposes triple talaq…What can be more… pic.twitter.com/ZJXhVJAK44
— ANI (@ANI) June 19, 2023
गांधी शांति पुरस्कार 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को श्रद्धांजलि के रूप में स्थापित एक वार्षिक पुरस्कार है। यह पुरस्कार राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना दिया जाता है। हाल के पुरस्कार विजेताओं में सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (2020), बांग्लादेश शामिल हैं।