बेमौसम बारिश और तूफ़ान ने देश के अधिकतर हिस्सों में बड़े पैमाने पर किसानों पर कहर बरपाया है। वहीं, साल 2014 में बीजेपी व राजग की सरकार ने देश में सौ स्मार्ट सिटी बनाने का दावा किया था। इसमें से एक स्मार्ट सिटी वाराणसी की बदहाली और जनता का दर्द किसी से छिपा नहीं है। आरोप है कि भले ही किसी इवेंट और वीवीआईपी के दौरे पर जनता के गाढ़ी कमाई का टैक्स पानी की तरह बहाकर आज 24 मार्च, दिन शुक्रवार को शहर को चमका कर एक बड़े जलसे का आयोजन किया गया है। लेकिन ऐसे भव्य आयोजन करके जनता और शहर के ज्वलंत सवालों से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी शहर में 1700 करोड़ रुपए से से अधिक के योजनापरियोजना की सौगात देंगे। पीएम मोदी इससे पहले 19 नवंबर 2022 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित काशी-तमिल संगमम में वाराणसी आए थे।
पिछले साल 2022 में कुल 3 बार पीएम वाराणसी आए। इस साल यह उनका पहला दौरा है। बहरहाल, स्मार्ट सिटी वाराणसी में सांसद मोदी से जनता के कई सवाल भी हैं जैसे – बनारस को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिली क्या ?, गंगा पर बसाए गए टेंट सिटी का हश्र, रिफ्यूजी के गुमटियों पर बुलडोजर, अपराध पर नकेल कसी क्या ?,
स्मार्ट सिटी के सड़कों की स्थिति पब्लिक के आवागमन के लिए आरामदायक हुई क्या, दूर -दराज से आये सैलानी और श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के दौरान कोई हादसा न हो इसके लिए समुचित प्रबंध कर दिए गए क्या ? और सबसे अहम् सवाल यह कि क्या तूफ़ान से नुकसान से उबारने के लिए कोई ठोस प्रयास हुए ? इससे की महंगाई और कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के जीवन को पटरी पर लाया जा सके ?
आखिर क्यों बिगड़ जाती स्मार्ट सिटी की सूरत?
21 मार्च की गरज-बरस के साथ हुई बारिश से सड़कों की जो हालत हुई है, उसने स्मार्ट सिटी की सूरत ही बिगाड़ कर रख दी है। कहीं जगहों सड़कें भी धंस गई तो कहीं पानी भरे गड्ढों में फंसकर लोग घायल भी हुए। अचानक बारिश के साथ ओले पडऩे से किसानों की फसल बर्बाद हो गई। साथ ही कहीं जगहों पर बिजली पोल में करंट उतरे से लोगों के जान पर आ गई। बारिश से सबसे अधिक खराब स्थिति मलदहिया से पटेल चौराहे की है। पिछले एक साल इस सड़क का हाल खस्ता है। ईश्वरगंगी, घौसाबाद, रविंद्रपुरी, नरिया समेत कहीं जगहों पर सड़कें धंस गई हैं तो कहीं गिट्टियां उखड़कर बिखर गई हैं। सड़कों पर गड्ढों की संख्या इतनी अधिक हो गई लोग चोटिल हो रहे हैं। कई क्षेत्रों में तो स्थिति गंभीर होने के कारण पैदल आवागमन में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदारों को जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.
खस्ता हालत सड़कें
भोजूबीर सब्जी मंडी, मीरापुर बसही, नवलपुर, पंचक्रोशी मार्ग, मंडुवाडीह, औरंगाबाद, लहंगपुरा, चेतगंज आदि इलाकों की सड़कें खस्ताहाल हैं। यहां की सड़कें जगह-जगह टूटी, धंसी, उखड़ी हुई हैं, जिससे लोगों को आवाजाही में भी परेशानी होती है। एक-दूसरे से जोड़ने वाली सड़कों पर जगह-जगह पर गड्ढे हो रखे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी दोपहिया वाहन चालकों को हो रही है। पिछले दिनों हुई हल्की सी बारिश के चलते यहां गड्ढों में पानी भर जाने से वाहन चालकों व राहगीरों का गुजरना मुश्किल हो गया था। पीडब्ल्यूडी के सहायक अधीक्षण अभियंता केके सिंह ने बताया कि “पीडब्ल्यूडी की ओर से खराब सड़कों के पैचवर्क का काम किया जाएगा। जी-20 व पीएम के आगमन को देखते हुए लगभग हर सड़कों को दुरुस्त कराया गया है। हमारी ज्यादातर सड़कें ठीक स्थिति में हैं।
स्मार्ट सिटी में करंट से दो नागरिक और दो गायों की मौत-
बरसात के दौरान करंट की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई। मंगलवार रात भेलूपुर थाना क्षेत्र के तुलसी नगर कालोनी में जिस स्थान पर दोनों हादसे के शिकार हुए ठीक उसी जगह पर दो दिन पहले दो गायों की मौत भी हुई थी। तेज बारिश के दौरान कालोनी के मुख्य रास्ते पर पानी भरा हुआ था। इसमें करंट उतर रहा था। भेलूपुर थाना के तुलसी नगर कालोनी (खोजवां) में जिस स्थान पर सरोज व शंभूनाथ करंट की चपेट में आए ठीक उसी जगह दो दिन पूर्व बीते रविवार को दो गायों की मौत करंट की वजह से हो गई थी। झमाझम बारिश के चलते शहर के कई इलाकों में जलभराव हो गया था। इसके चलते कहीं जगहों पर बिजली के खंभे में करंट उतरने से अफरा-तफरी मच गई। गुरुवार रात प्रेम तिराहे के पास पानी में करंट उतरने दो लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा कालभैरो मंदिर के पास भी खंभे में करंट उतरने लगा। क्षेत्रीय नागरिक मनोज यादव की सक्रियता से बड़ा हादसा होने से बच गया। तुरंत बिजली आपूर्ति बंद कराई गई।
जाम के रोग से बनारस बीमार-
डबल इंजन की सरकार ने बनारस शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दे रखा है, जबकि दुनिया में सिर्फ उसी शहर को स्मार्ट माना जाता है जहां ट्रैफिक व्यवस्था स्मूथ हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले आठ साल से संसद में बनारस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यहां ट्रैफिक जाम एक जिद्दी नासूर की तरह है। ऐसा नासूर दुनिया के शायद ही किस शहर में हो? यहां हर वाहन चलाने वाले का एक ही दर्द है…जाम और भीषण जाम। कैंट से लंका दस-ग्यारह किमी की दूरी तय करने में घंटों लग जाते हैं. इसमें पैदल, दोपहिया चालक, फॉर ह्वीलर और पैदल रिक्शा चालकों को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जब कभी शहर में वीवीआईपी मूवमेंट होता है, तो पूछिए ही मत। वीआईपी के प्रस्थान के बाद शहर में जाम की बाढ़ आ जाती है. पब्लिक और शहरवासियों को सड़क से घर जाने की घंटों जद्दोजहद करनी पड़ती है।
पत्रकार राजीव कुमार सिंह “एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के कई बार सोचना पड़ता है। बहुत जरूरी होता है तो शार्ट कट भी लेना पड़ता है। सड़कों पर जाम मिलता है तो इन्हें गलियों का रास्ता पकड़ना पड़ता है। वह कहते हैं, ”बनारस में जब से कमिश्नरेट व्यवस्था लागू हुई है तब से ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। पूर्व पुलिस कमिश्नर ने शहर का ट्रैफिक सुधारने पर रत्ती भर ध्यान नहीं दिया। नतीजा, गाड़ियां बढ़ती रहीं और जाम से बनारस शहर ज्यादा बेजार होता चला गया।”
रिफ्यूजी के गुमटियों पर चला बुलडोजर-
बनारस में जी-20 की तैयारियॉं अंतिम चरण में हैं. इसके लिए शहर को चमकाने के लिए सभी महकमे जुटे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्थानीय प्रशासन ने लगभग अस्सी गुमटियों को बुलडोजर से ढहा दिया। इससे तकरीबन 400 से अधिक लोगों की आजीविका संकट में आ गई है. इसमें ने अधिकतर दुकाने रिफ्यूजी परिवारों की थी, जो पाकिस्थान से आकर बसे हैं. दुकानदारों का कहना था कि “हमलोग परिवारों के लोग अपने घरों में सोए थे, तभी कोहराम मचा। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग चितरंजन पार्क की ओर दौड़े, लेकिन उन्हें गोदौलिया पर ही रोक दिया गया। ये लोग कुछ समझ पाते इससे पहले ही वीडीए और नगर निगम के बुलडोजरों ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया, जिसने विरोध किया, उसे पुलिस उठा ले गई।
आंधी उखड़ गई टेंट सिटी के कॉटेज, टूरिस्टों को आई चोटें-
बनारस में गंगा की रेत पर बसाए गए तंबुओं के शहर में कई पंडाल बारिश के साथ आई तेज़ आंधी में उड़ गए। टेंट सिटी की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों के भी कई टेंट को हवा के थपेड़ों से नुकसान पहुंचा है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी महीने के पहले पखवाड़े में टेंट सिटी का लोकार्पण किया था। दावा किया गया था कि टेंट सिटी से बनारस के पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा। बहरहाल, तूफ़ान आने की वजह से कॉटेज में ठहरे मेहमान उस समय दहशत में आ गए जब टेंट सिटी की बिजली पूरी तरह गुल हो गई और चौतरफा अंधेरा छा गया। घुप अंधेरे के बीच बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से लोग भयभीत हो गए। बारिश के साथ आई तेज़ आंधी में तंबुओं के शहर के कई पंडाल तहस-नहस हो गए। वहां एक कॉटेज में ठहरा एक बंगाली परिवार हादसे में घायल हो गया। साथ ही टेंट सिटी की देखरेख करने वाली गुजरात की संस्था की एक महिला कर्मचारी और एक पुरुष भी इस आंधी में ज़ख्मी हो गए। घायलों को आनन-फानन में रामनगर स्थित राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। बाद में उन्हें बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया गया।
एक्टिविस्ट वैभव त्रिपाठी ने “तक्षकपोस्ट” से कहते हैं कि “बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग 1600 करोड़ रुपए अपने सिर्फ अपने विज्ञापन पर खर्च कर चुके हैं। ऐसे आयोजनों से सिर्फ बनारसवासियों को दिक्कत ही होती है। रिक्शाचालक, पकौड़े वाला, मोची, व्यापारी, किसान और जनता के टैक्स के पैसा को बीजीपी सरकार इवेंट में कर रही है। देश का पैसा अडानी के निवेश और एलआईसी में डूब रहा है। बनारस में कानून व्यवस्था का हाल यह कि बेख़ौफ़ बदमाश दिनदहाड़े लूटमार कर रहे हैं।”
सरकार वाहवाही लूटने में मस्त-
त्रिपाठी आगे कहते हैं कि “मौजूदा समय में बनारस स्मार्ट सिटी आधे घंटे की बारिश में कई सड़कें जलमग्न हो जाएंगी, सीवर चोक हो जाएंगे। टेंट सिटी उड़ उखड जाएगी। सिर्फ विश्वनाथ मंदिर और उसके बाद बाबतपुर वाली सड़क को छोड़कर पूरे शहर में हालत बद से बदतर हैं। पब्लिक प्लेसेज यथा एलबीएस एयरपोर्ट पर गत दिवस पहले चेन्नई से काशी विश्वनाथ बाबा का दर्शन करने आये श्रद्धालु की हार्ट अटैक से मौत हो गई। एयरपोर्ट पर मौके पर डॉक्टर की व्यवस्था नहीं होने से श्रद्धालु का सीआरसीपी या अन्य प्राथमिक उपचार नहीं दिया जा सका, ये हालत है मोदी जी के संसदीय क्षेत्र के एयरपोर्ट की। शहर को छोड़िये मोदी जी व सांसदों ने गांव को स्मार्ट करने के लिए गोद लेने की परम्परा शुरू की, विकास छोड़िये, टिकाऊ विकास और स्मार्टनेस का कोई फंडा नहीं है गांव में। अधिकारियों के दौरे से ग्रामीण और प्रधानों को दिक्कत होती है सो अलग।
मौसमी आपदा से किसानों की सालभर की कमाई चौपट हो गई है। सरकार इनकी सुध लेने के बजाय अपनी वाहवाही में जुटी है। फसल नुकसान होने पर बनारस के किसान सदमे और शोक में हैं। ऐसे में शहर में जश्न का माहौल है। अब आगे क्या कहा है इनलोगों के लिए ?