सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिका और दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी की दलीलों सुनवाई करते हुए पाया कि याचिकाएं समानता के मौलिक अधिकार से संबंधित हैं। बेंच ने कविता अरोड़ा और निबेदिता दत्ता द्वारा दायर अलग-अलग ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में नोटिस जारी करें। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की।
#SupremeCourt hears plea seeking recognition of same sex marriages
Sr. Adv. Menaka Guruswamy: This is a transfer request from HC
CJI DY Chandrachud: issue notice
Sr Adv Anand Grover: can this be live streamed?#samesexmarriage #LGBTQIA pic.twitter.com/w4F0ThI3e5
— Bar & Bench (@barandbench) December 14, 2022
इससे पहले 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दो समलैंगिक जोड़ों की दो याचिकाओं पर संज्ञान लिया था, जिसमें उनके विवाह के अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत उनकी शादी को पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने दोनों याचिकाओं से निपटने में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि की सहायता भी मांगी थी।
25 नवबंर की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया था और 4 हफ्तों के अंदर जवाब मांगा था। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दायर की गई है उसमे LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को अनुच्छेद 32 के तहत अपने पसंद से शादी का अधिकार देने की मांग की गई है। साथ ही कोर्ट से ये भी बताने के लिए कहा है कि LGBTQ+ समुदाय के सदस्यों को भी अन्य नागरिकों की तरह संवैधानिक और मौलिक अधिकार हैं।शीर्ष अदालत में इस मामले में दो याचिकाएं दाखिल की गई है।
पहली याचिका- एक गे कपल पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज ने शीर्ष अदालत में कहा है कि वह एक-दूसरे से प्यार करते हैं और बीते 17 सालों से एक दूसरे के साथ संबंध में हैं। कपल दो बच्चों की परवरिश भी कर रहे हैं, लेकिन वे कानूनी रूप शादी नहीं कर सकते हैं। इनका कहना है कि उनकी शादी को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण ऐसी स्थितियां पैदा हुई है, जिसके तहत वह अपने दोनों बच्चों को न ही अपना नाम दे सकते हैं और न ही उनसे कानूनी संबंध रख सकते हैं।
दूसरी याचिका – हैदराबाद के रहने वाले एक गे कपल- सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय दंगड़ ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है। इन्होने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की है। इनका कहना है कि अपने रिश्ते का जश्न मनाने के लिए इन्होने 9वीं सालगिरह पर कमिटमेंट सेलिब्रेशन आयोजित किया था। दिसंबर 2021 में एक कमिटमेंट समारोह हुआ था, जिसमें उनके माता-पिता, परिवार और दोस्त भी शामिल हुए। लेकिन इस सबके बावजूद वो दोनों वैवाहिक जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले सितंबर 2021 में CJI चंद्रचूड़ ने कहा था कि IPC की धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से LGBT समुदाय के लोगों को कानूनी रूप से एक सशक्त नागरिक के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।