कांग्रेस ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकसभा चुनाव में वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए “झूठ” फैलाने का आरोप लगाया और उन्हें यह बताने की चुनौती दी कि पार्टी के घोषणापत्र में “धन के पुनर्वितरण” का उल्लेख कहां है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि पीएम मोदी “असत्यमेव जयते का प्रतीक हैं”। दिल्ली में एआईसीसी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, रमेश ने कहा कि कांग्रेस भाजपा द्वारा तैयार की गई पिच पर नहीं खेलेगी, बल्कि “बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि के मुद्दों की पिच पर खेलेगी”।
रमेश ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के रुझानों से पता चलता है कि कुछ राज्यों में भाजपा का ‘सफाया’ हो गया है और कुछ राज्यों में 2019 के चुनावों की तुलना में उसकी सीटें कम हो रही हैं।
उन्होंने कहा, “वह (पीएम मोदी) एजेंडे को दूसरी दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पहले हमारे घोषणापत्र को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और फिर उन चीजों के बारे में बात की जो ‘न्याय पत्र’ में नहीं हैं। यह झूठ पर आधारित प्रचार है।”
उन्होंने कहा, ”वह हमारे घोषणापत्र का प्रचार कर रहे हैं, हालांकि यह गलत प्रचार है।”
उन्होंने कहा, न्याय पत्र भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लोगों से मिले फीडबैक पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ”यह बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी है, महंगाई पर लगाम नहीं लग पा रही है और आर्थिक असमानताएं बढ़ गई हैं।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव नारी न्याय, युवा न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय और हिसदारी न्याय पर लड़ेगी।
उन्होंने कहा, “हमारा एक सकारात्मक एजेंडा है। हम बेरोजगारी, महंगाई, संविधान और संस्थानों पर हमले जैसे लोगों के मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।”
रमेश ने दावा किया कि मोदी ने ‘400 पार’ और ‘मोदी की गारंटी’ का नारा लगाना बंद कर दिया है और ध्रुवीकरण की नई भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
रमेश ने कहा, ”ध्रुवीकरण हमेशा से उनका हथियार रहा है लेकिन वह ध्यान भटकाने के लिए ध्रुवीकरण की भाषा का इस्तेमाल अधिक बेशर्मी से कर रहे हैं। वह सिर्फ कांग्रेस के ‘न्याय पत्र’ को बदनाम करना चाह रहे हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में विरासत कर का कोई जिक्र नहीं है और यह पार्टी के एजेंडे का हिस्सा नहीं है।
रमेश ने कहा, “राजीव गांधी ने 1985 में इसे समाप्त कर दिया था। हालांकि, अरुण जेटली और जयंत सिन्हा जैसे भाजपा नेताओं ने विरासत कर के पक्ष में वकालत की। जो लोग कहते हैं कि हम विरासत कर लाएंगे, वह गलत हैं और वास्तव में, यह भाजपा का एजेंडा है।”
यह देखते हुए कि मोदी ने दावा किया है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो धन का पुनर्वितरण करेगी, रमेश ने कहा, ”मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वह हमें दिखाएं कि घोषणापत्र में धन पुनर्वितरण का कहां उल्लेख किया गया है। हमने कहां कहा है कि हम मंगलसूत्र छीन लेंगे? जिस व्यक्ति ने मंगलसूत्र का सम्मान नहीं किया, इसकी बात वो खुद कर रहे हैं।”
रमेश ने कहा, मोदी यह नहीं कहते कि यह उनकी मंशा और नीतियों का ही नतीजा है कि 21 अरबपति ऐसे हैं जिनके पास 70 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समावेशी आर्थिक विकास में विश्वास करती है।
कांग्रेस नेता ने मोदी से जाति जनगणना मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा।
रमेश की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री द्वारा “संपत्ति पुनर्वितरण” के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा के हमले को तेज करने के लिए विरासत कर पर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी को लपकने के एक दिन बाद आई है।
विरासत कर पर पितोर्दा की टिप्पणी के बाद, कांग्रेस ने अपने विदेशी विंग के अमेरिका स्थित अध्यक्ष की टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया और कहा कि इस तरह के कर को लागू करने की उसकी कोई योजना नहीं है।
भाजपा के इस आरोप के बीच कि कांग्रेस सत्ता में आने पर संपत्ति का पुनर्वितरण करेगी और विरासत कर लगाएगी, कांग्रेस इस बात पर जोर दे रही है कि उसका घोषणापत्र “पुनर्वितरण” के बारे में बात नहीं करता है और वह सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना का समर्थन करती है।