वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्र संघ चुनाव विश्वविद्यालय प्रशासन की गले का हड्डी बन गया है। जिसे ना निगलते बन पा रहा है ना उगलते कुलपति आनंद त्यागी समेत विश्विद्यालय के प्रशाशनिक अधिकारियों को, छात्रसंघ चुनाव की घोषणा के बाद शांतिपूर्ण नॉमिनेशन के बाद अचानक प्रशासन ने टालमटोल करनी शुरू कर दी चुनाव की प्रक्रिया को सवाल ये उठा की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैलेट पर चुनाव लड़ने को कोई तैयार नहीं। इसलिए भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी इज्जत बचाने के लिए इस चुनाव को होने ही नहीं देना चाहते। इसी कारण कभी पुलिस प्रशासन की हिलाहवाली तो कभी जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा बहाने बनाते नजर आने लगे। कुलपति आनंद त्यागी और कुलसचिव ने अपनी नौकरी बचाने के लिए इस चुनाव को टालने की कोशिश की जिसके विरोध में छात्रों का समूह इलाहाबाद हाइकोर्ट जा पहुंचा है।
सिर्फ विद्यापीठ नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव को अपनी लंगोट बचाने के लिए योगी टालने में लगे हैं। क्योंकि तामझाम और पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी आखिर अखिल विद्यार्थी परिषद की हैसियत धोबी की उस कुत्ते की तरह हो गई है जो ना घर का रहा ना घाट का ऐसे में ये नाकामी का ठीकरा तो भाजपा के घटते साख और अपनी इज्जत बचाने के स्तर पर जा पहुंचा है। इलाहाबाद विश्विद्यालय में बच्चें लंबे समय से धरने पर बैठे हैं। मामला सदन में भी उछल चुका है।
काशी विद्यापीठ में चुनाव टालने के विरोध में समय से ना कराने को लेकर छात्र नेता अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के छात्र संघ चुनाव को लेकर जिला प्रशासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच सामंजस्य स्थापित ना होने के कारण छात्र संघ चुनाव विश्वविद्यालय के गले की हड्डी बन गई है। चुनाव अधिकारी प्रोफेसर आर.पी. सिंह चुनाव कराना चाहते हैं, तो प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है वहीं छात्र नेता नेताओं और जिला प्रशासन से वार्ता में जिला प्रशासन का कहना है कि चुनाव की तिथि हम तो नहीं तय करेंगे यह विश्वविद्यालय के चुनाव अधिकारी को तय करना है। वहीं दूसरी ओर चुनाव अधिकारी का कहना है कि हमें चुनाव कराने के लिए जिला प्रशासन सहयोग करने के लिए लिखित आश्वासन दें,तो हम चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। जिला प्रशासन विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच तालमेल न बैठने के कारण छात्र संघ चुनाव बीच मझधार में अटका पड़ा है।
अंदरखाने खबर है कि विश्वविद्यालय के चुनाव अधिकारी प्रोफेसर आर.पी.सिंह को जिला प्रशासन ने बुला कर चुनाव नहीं कराने के लिए दबाव में लिया है और झूठे मुकदमें में फसाने की धमकी तक दे डाली। इन्हें धमकी भी दी गई है कि अगर चुनाव कराया तो किसी न किसी धारा में फंसा कर जेल की हवा खिलाएंगे। धमकी से घबराये चुनाव अधिकारी ने चुनाव स्थगित कर दिया। अब चुनाव अधिकारी रोना रो रहे हैं कि मुझे जिला प्रशासन सहयोग नहीं कर रही है।
दूसरी तरफ जिला प्रशासन का आरोप की चुनाव की तिथि की घोषणा विश्वविद्यालय को करनी है, ऐसे में हम क्या करेंगे। आरोप-प्रत्यारोप के इस बीच छात्र नेता अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं, रोज़ धरना प्रदर्शन का दौर विश्वविद्यालयमें चल रहा है। छात्र संघ बहाल कराना चाहते हैं।
असल वजह विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद का कोई प्रतिनिधित्व ना होने के कारण प्रदेश सरकार चुनाव पर रोक लगाना चाहती है। ऐसी परिसर में चर्चा बनी हुई है। छात्र नेताओं ने आरोप लगाया है कि ABVP का चुनाव में कोई प्रत्याशी नहीं मिला इसलिए प्रदेश सरकार जानबूझकर चुनाव पर रोक लगा कर बैठी है। छात्र नेताओं ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से पिछले सप्ताह वार्ता हुई थी की 31 दिसंबर तक चुनाव के संदर्भ में बताया जाएगा लेकिन शुक्रवार को अवधि खत्म होने पर फिर से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए हैं।
चीफ प्रॉक्टर डॉ निरंजन सहाय से छात्र नेताओं की वार्ता हुई, वार्ता में चीफ प्रॉक्टर ने कहा दीक्षांत के बाद इस संदर्भ में विचार किया जाएगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट में ये मामला विचाराधीन है। इसलिए कोर्ट के दिशा निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। चुनाव के संदर्भ में चुनाव अधिकारी प्रोफेसर आर .पी.सिंह से बात करने पर पता चला जिला प्रशासन से बात हुई है, उन्होंने बताया है कि जिला प्रशासन का मानना है कि छात्र संघ चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में केस दायर है ऐसे में 17 जनवरी को सुनवाई के बाद, कोर्ट के आदेश के बाद जैसा भी होगा पालन किया जाएगा।