प्रयागराज: माघ मेला 2022 को लेकर तैयारियां चल रही है।इसी को लेकर प्रशासन की लगातार बैठकें भी चल रही हैं। वहीं मेला की तिथियां नजदीक आते ही भूमि आवंटन को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। कोई संस्था तो कोई संत जमीन अधिक चाह रहा है।इस बार एक नये पांटून पुल बनाने की भी मांग जोर से उठी है।कोरोना के नये वैरिएंट के सम्भावित खतरे को देखते हुए मेरे में कोरोना गाईड लाईन का पालन करवाना भी इस बार प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बैठकों के क्रम में माघ मेला सलाहकार समिति की बैठक में आचार्यबाड़ा, दंडीबाड़ा के साधु-संतों और तीर्थपुरोहितों ने उत्तर दिशा में मेला विस्तार को देखते हुए हरिश्चंद्र मार्ग पर छठवां पांटून पुल बनाने के लिए आवाज उठाई। धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का कहना था, कि जिस तरह कटान से मेले का बड़ा क्षेत्रफल प्रभावित हुआ है,उससे मेले का विस्तार करने के साथ ही एक और पुल बनाने के अलावा कोई चारा नहीं है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिकॉन केे खतरे को देखते हुए प्रोटोकॉल के तहत मेला बसाने पर चर्चा हुई। भूमि समतलीकरण के लिए ट्रैक्टर की संख्या बढ़ाने और समय रहते बिजली, पानी, चिकित्सा और सफाई इंतजामों को पूरा करने की हिदायत दी गई।
माघ मेला करीब आने के साथ ही संतों में अपने अहम को लेकर भूमि के लिए रार फिर छिड़ गई है। मेला प्राधिकरण सभी को जमीन देने को तैयार है, लेकिन संतों की तकरार संस्था के नाम पर जमीन आवंटन को लेकर बढ़ रही है। अब उस संस्था के नाम पर जमीन और सुविधा किसे दी जाए, ये लेकर मेला प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। हालांकि इस के लिए मेला प्राधिकरण की ओर से चिट फंड्स सोसायटी के कार्यालय से भी दस्तावेज मंगाए जा रहे हैं। हो सकता है कि दस्तावेज आने के बाद मेरा प्रशासन किसी नतीजे पर पहुंच सके।