प्रयागराज: बाघंबरी गद्दी के महंत व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के उकसाने के आरोप में जेल में बंद आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से जवाब तलब किया है। सीबीआई के वकील ने बहस के दौरान छह सप्ताह का समय मांगा था लेकिन हाईकोर्ट ने सीबीआई को तीन हफ्ते का समय दिया है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले आनंद गिरि की जमानत अर्जी विशेष अदालत ने खारिज कर दिया था। इसी के बाद आनंद गिरि ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश राहुल चतुर्वेदी की एकल पीठ कर रही है।याची आनंद गिरि का पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मामले में याची बेगुनाह है और उसे गलत तरीके से फंसाया गया है।
याची के अधिवक्ता ने खुदकुशी नोट पर भी सवाल खड़े किए और उसे संदिग्ध बताया। कहा कि याची का नाम सुसाइड नोट में सामने आया है। आनंद गिरि के वकील ने कहा कि याची के खिलाफ इसके अलावा कोई साक्ष्य नहीं है। यही नही घटना के समय वह शहर से दूर हरिद्वार में था और उसे जार्जटाउन एसएचओ के द्वारा फोन पर घटना की जानकारी दी गई। आनंद गिरि के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि खुदकुशी नोट में कटिंग है और अगस्त 2021 में दिवंगत हो चुके संत का भी नाम आया है।उनका कहना है कि नोट मृतक महंत के द्वारा नहीं लिखा गया है। झूठे आरोप में याची 22 सितंबर से ही नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं।याची की दलील के बाद अदालत ने सीबीआई का पक्ष जानना चाहा। सीबीआई के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि मामले में दिल्ली की टीम जांच कर रही है।इस लिए जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया जाए। लेकिन इस पर आनंद गिरि के अधिवक्ताओं ने इसका विरोध किया। कहा कि मामला स्थानीय है और सीबीआई को इतना वक्त नहीं दिया जाना चाहिए। इस कोर्ट पर ने तीन हफ्ते में सीबीआई को जवाब देने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।