आगरा: देर रात कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने अरुण के घर जाकर मुलाकात की और परिवार को सांत्वना देने की पहल की। परिवार ने मांगा न्याय, कैसे अरुण को उठाया गया और पुलिस हिरासत में उसकी मौत हुई कैसे पुलिस ने जोर लगाया और बिना परिवार के उपस्थिति के पोस्टमार्टम तक करवा दिया ये बातें प्रियंका गांधी ने परिवार से मुलाकात के बाद मीडिया से कही।
गौरतलब है कि आगरा में 25 लाख के चोरी के मामलें में वाल्मीकि समाज से आने वाले अरुण सहित अन्य 15 से ज्यादा लोगों को उठाया गया था, बाद में आज वाल्मीकि जयंती के दिन ही पुलिस प्रताड़ना से अरुण की हिरासत में मौत हो गई।परिवार वालों का आरोप है कि अरुण को मारा पीटा गया जिसके कारण उसकी मौत हुई हैं।
लेकिन दूसरी तरफ पुलिस का कहना है की- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज ने बताया कि मंगलवार की रात आरोपी अचानक बीमार पड़ गया, जब चोरी के पैसे की बरामदगी के लिए उसके घर पर छापेमारी की जा रही थी। “उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।”
पुलिस के अनुसार, अरुण थाने के “मालखाना” ( भंडारण घर जहां पुलिस द्वारा जब्त किया गया सामान रखा जाता है) में क्लीनर का काम करता था। उसने शनिवार की रात ऐसा आरोप है की पैसे चुरा लिए थे।
मामले के तूल पकड़ने के बाद कारवाई करते हुये पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
इस घटना के बाहर आने के बाद अरुण वाल्मीकि के परिवार से मिलने जा रही प्रियंका गांधी को हिरासत में लिया गया
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को लखनऊ पुलिस ने उस समय हिरासत में लिया जब वह पुलिस हिरासत में मारे गए एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मिलने आगरा जा रही थीं।
प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर रोक दिया क्योंकि आगरा के जिलाधिकारी ने व्यक्ति की मौत के बाद किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को वहां नहीं जाने देने का अनुरोध किया था।
कार्यकर्ताओं के हंगामा करने के बाद पुलिस ने प्रियंका को छोड़ दिया क्योंकि उनके पास प्रियंका को गिरफ्तार करने की कोई वजह नहीं थीं। लेकिन पुलिस ने अपनी पतलून बचाने के लिए धारा 144 का हवाला दिया जो वास्तव में वहां लागू ही नहीं था।
गिरफ्तार किये जाने के विरोध में प्रियंका ने कहा सरकार कहती है मुझे मैं आगरा नहीं जा सकती। मैं जहाँ भी जाती हूँ वे मुझे रोकते हैं। क्या मुझे रेस्तरां में बैठना चाहिए? सिर्फ इसलिए कि यह उनके लिए राजनीतिक रूप से सुविधाजनक है? मैं पीड़ित परिवार से मिलना चाहती हूँ, कौन सी बड़ी बात है?”
“किसी की मृत्यु हो गई है। यह कानून-व्यवस्था का मुद्दा कैसे हो सकता है? डीएम को बुलाकर पूछें।
बाद में प्रियंका को छोड़ दिया गया। देर रात प्रियंका ने पीड़ित अरुण वाल्मीकि के परिवार से बात की मुलाकात के दौरान पीड़ित परिवार का दर्द छलका, परिवार ने अपनी आपबीती सुनाई और न्याय की गुहार लगाई है।