केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे को मुंबई पुलिस ने मंगलवार 24 अगस्त को गिरफ्तार किया और उसी दिन देर रात अदालत ने उनको जमानत पर रिहा भी कर दिया। उनकी यह गिरफ्तारी एक दिन पहले सोमवार 23 अगस्त को भाजपा की एक जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान एक जनसभा में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समबन्ध में की गई एक आपत्तिजनक टिपण्णी को लेकर की गई थी। तबेयत खराब होने पर लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया..
अपनी इस टिपण्णी में केन्द्रीय मंत्री ने यह कहा था कि बात बहुत अजीब सी लगती है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यह भी पता नहीं है कि देश को आजाद हुए कितने साल हो गए हैं। श्री राणे ने विगत 15 अगस्त को राज्य में एक समारोह को संबोधित करने के दौरान एक कदम पीछे हट कर उपस्थित भीड़ के किसी सदस्य से इस बारे में पूछा भी था। किसी जमाने में शिवसेना में नम्बर दो और – तीन के पद सम्हाल चुके नारायण राणे अपने संबोधन में यहीं तक नहीं रुके बल्कि उन्होंने इसके आगे यह कथन भी जोड़ दिया कि , “अगर वो उस वक़्त वहाँ
( मौके पर ) मौजूद होते तो एक जोरदार थप्पड़ उनके गाल पर जड़ देते। ” उद्धव को लेकर नारायण राणे के यही शब्द उनके खिलाफ शिवसैनिकों की नाराजगी का कारण बने गये।
शिव सैनिकों ने इस घटना को लेकर नारायण राणे के खिलाफ चार अलग – अलग पुलिस थानों में प्राथमिकी भी दर्ज कराई और यही प्राथमिकी उनकी गिरफ्तारी का कारण भी बनी। अब तो अदालत ने भी साफ़ कर दिया है कि राणे की गिरफ्तारी में कुछ भी गलत नहीं है, सब कुछ संविधान के प्रावधानों और न्यायिक विधान के तहत हुआ है। गौरतलब है कि भारतीय संविधान में क़ानून से बड़ा कोई नहीं है चाहे वो कितने ही बड़े संवैधानिक पद पर ही क्यों न तैनात हो। इससे पहले भी क़ानून तोड़ने वाले केन्द्रीय मंत्रियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई है और उन्हें गिरफ्तार होना पड़ा है। इस लिहाज से केंद्र के मौजूदा मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी में कुछ भी नया और गैर कानूनी नहीं है।
नारायण राणे को भारतीय दंड संहिता के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसमें भारत सरकार या राज्यों में किसी भी पद पर कार्यरत किसी लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी देने , शांति भंग करने के लिए जान बूझ कर अपमानित करने , सार्वजनिक शरारत और अपराधिक धमकी का कारण बनने वाले किसी बयान को प्रकाशित या प्रसारित करने को दंडनीय अपराध माना गया है। क़ानून की इस परिभाषा के मुताबिक़ नारायण राणे ने भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा जनसभा में स्वाधीनता दिवस समारोह के प्रसंग में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्दव ठाकरे के खिलाफ जो कुछ भी विष वामन किया वो क़ानून की निगाह में अपराध है और अपराध करने के सजा भी उन्हें मिली। भाजपा के वरिष्ठ नेता भी नारायण राणे का बचाव तो करते रहे लेकिन उन्होंने यह भी माना की उनके शब्द आपत्तिजनक थे जो उन्हें नहीं कहने चाहिए लेकिन इस तरह की बात करने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।
ऐसे बातें तो कई बार खुद उद्धव ठाकरे भी दूसरी पार्टी के नेताओं के सम्बन्ध में कह चुके हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद ऐसा ही कुछ कहा था। इसके साथ ही पार्टी के कई बड़े नेताओं ने नारायण राणे के विवादास्पद कथन से खुद को अलग रखना भी उचित समझा। इससे साफ़ होता है कि उनकी गिरफ्तारी में गलत कुछ भी नहीं है। राणे की गिरफ्तारी फिलहाल कुछ लोगों को इसलिए अटपटी लग रही है क्योंकि विगत दो दशक में किसी केन्द्रीय मंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे ऐसे किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। नारायण राणे पुराने शिव सैनिक हैं एक जमाने में शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के खासमखास हुआ करते थे और उनके भतीजे राज ठाकरे के घनिष्ठ मित्र भी। राज और राने की उद्धव से बिलकुल भी नहीं बनती थी, और उद्धव भी किसी तरह इन दोनों से अपना छुड़ाना चाहते थे। बाला साहेब ठाकरे के बाद की शिवसेना में न राने रहे और न ही राज ठाकरे।
राज की अपनी पार्टी है लेकिन राणे पहले शिवसेना से कांग्रेस में गए और बाद में कांग्रेस से भाजपा में आ गए थे। राज्यसभा के सांसद हैं और अभी जुलाई के महीने ही नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। नारायण राणे कैसे शिवसैनिक हैं जो यह बात एकदम भूल गए कि उनकी पुरानी पार्टी शिवसेना अपने नेता का का अपमान करने वाले व्यक्ति का कर्ज ज्यादा समय तक अपने उपर रखती नहीं है। शिव सेना के कार्यकर्ता ब्याज और मूलधन के साथ इस तरह का कर्ज तुरंत उतार देते हैं। शिव सैनिक कांग्रेस या किसी मध्यमार्गी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नहीं हैं जो अपनी पार्टी के नेताओं का अपमान थोड़े दिन बाद ही भूल जाते हैं। शिव सैनिक तो , ” तुरंत दान महा कल्याण ” के सिद्धांत पर विश्वास करते हैं। इसी सिध्हंत पर अमल करते हुए शिव सैनिकों ने पहले तो अपने स्तर पर नारायण राणे का घेराव धरना – प्रदर्शन कर विरोध व्यक्त किया फिर कानूनी रास्ता अपना कर गिरफ्तारी की राह भी आसान करवा दी। गौरतलब है कि बीते सोमवार को जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान राणे ने पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे को थप्पड़ मारने की बात कही थी। राणे के इस बयान के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की जाने लगी। नासिक, पुणे एवं महाड में उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवा दी गई। मंगलवार सुबह से ही उनकी गिरफ्तारी की आशंका व्यक्त की जाने लगी थी। नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए। दोपहर बाद करीब ढाई बजे रत्नागिरी के संगमेश्वर क्षेत्र में राणे को भोजन करते समय ही गिरफ्तार कर लिया गया। शाम होते-होते उन्हें महाड क्षेत्र में लाया गया, जहां उन्होंने विवादित बयान दिया था। उन्हें महाड के सत्र न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई। इससे पहले बांबे हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी विधि सम्मत तरीके से पेश नहीं किए जाने के कारण ठुकरा दी थी।उनकी गिरफ्तारी के बाद संगमेश्वर पुलिस थाने एवं पुराने मुंबई-गोवा हाईवे पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने इस आशंका में कई घंटों तक सड़क जाम किया कि पुलिस हिरासत में राणे की हत्या भी हो सकती है। बाद में राणे जमानत पर रिहा कर दिए गए।