New Delhi: वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने रविवार को भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया, इस कमेटी का गठन पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार के द्वारा किया गया था। शाहिद जमील ने इस्तीफा क्यों दिया है इसका खुलासा होना बाकी है। पर सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अड़ियल रैवैया पॉलिसी बनाने को लेकर अहम वजह है।
शाहिद जमील केंद्र सरकार की ओर से बनाए उस खास सलाहकार ग्रुप के सदस्य थे, जिनके ऊपर वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान करने की जिम्मेदारी थी। कोरोना संकट के बीच डॉ शाहिद जमील को सरकार की ओर से अहम जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें SARS-CoV-2 वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान करने वाले वैज्ञानिक सलाहकार ग्रुप का प्रमुख बनाया गया था। लेकिन रविवार को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि जमील ने फोरम के मुख्य सलाहकार का पद क्यों छोड़ दिया लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सरकार का अड़ियल रैवैया प्रमुख वजह है।
भारत में कोविड के फैलने और साइड इफ़ेक्ट स्पेशल फंगस को मॉनिटर करने के लिए लैब और साइंस से जुड़ी रिसर्च के लिए इस कमेटी का गठन किया गया था।
अभी वर्तमान में शाहिद जमील अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस के डायरेक्टर है। शाहिद जमील ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में वैज्ञानिक “साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए जिद्दी प्रतिक्रिया” का सामना कर रहे हैं। सरकार वैज्ञानिकों की बात नहीं सुन रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्होंने सलाह भी दी थी, पॉलिसी बनाने में जिद्दी रवैया छोड़ें।
डॉ जमील ने कोरोना के नए वैरिएंट की तरफ ध्यान दिलाया और लिखा कि एक वायरोलॉजिस्ट के तौर पर मैं पिछले साल से ही कोरोना और वैक्सीनेशन पर नजर बनाए हुए हूं। मेरा मानना है कि कोरोना के कई वैरिएंट्स फैल रहे हैं और ये वैरिएंट्स ही कोरोना की अगली लहर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
जमील, पूर्व में वेलकम ट्रस्ट डीबीटी इंडिया एलायंस के सीईओ, हेपेटाइटिस ई वायरस में अपने शोध के लिए जाने जाते है। शाहिद जमील को शांतिस्वरूप पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
सरकार के साथ टकराव की एक मुख्य वजह रिसर्च के लिए फण्ड का ना दिया जाना भी हो सकता है। सरकार ने शुरू में कहा था कि परियोजना के लिए 6 महीने की अवधि के लिए 115 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे, लेकिन कोई आवंटन नहीं किया गया था और केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग को अपने संसाधनों से पहल करने के लिए कहा गया था। कंसोर्टियम में कई प्रयोगशालाओं से जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा कि वे ज्यादातर अपने स्वयं के, सीमित आवंटन से जीनोमिक निगरानी कार्य कर रहे हैं।
शाहिद जमील ने ऐसे वक्त पर त्यागपत्र दिया है, जब भारत कोरोना की दूसरी लहर के कहर से जूझ रहा है। रोजाना 4 हजार से ज्यादा मौतें देश में हो रही हैं। जबकि कोरोना के मामले रिकॉर्ड चार लाख का आंकड़ा पार करने के बाद अभी भी 3 लाख के आसपास दर्ज हो रहे हैं। सरकार कोरोना की दूसरी लहर को काबू में करने के तौरतरीकों को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से आलोचना का सामना कर रही है।
कोरोना को लेकर ये पहला इस्तीफा माना जा सकता है, सरकार के भीतर कोरोना के खिलाफ जंग में शामिल किसी पेशेवर व्यक्ति ने इस मुद्दे पर अपनी अलग राय रखी है। फोरम द्वारा दी गई चेतावनी पर सरकार के ध्यान न दिए जाने के मुद्दे पर जमील ने कहा था कि सरकारी एजेंसियों ने इन साक्ष्यों पर ध्यान नहीं दे रही मेडिकल एसोसिएशन भी लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है सरकार के कोरोना से निपटने के तौरतरीकों पर।