देश में लोग मर रहे है बिना सुविधाओं के, जिनमें दवाइयों की कमी,ऑक्सीजन का ना मिलना, अस्पताल में बेड का ना होना बड़ा कारण है! इन बेहिसाब मौतों का !
पिछले साल कोरोना ने पैर पसारे थेे, देश में उसके मुकाबले इस समय मौतों की संख्या सबसे ज्यादा हैै। सिर्फ पिछले 22 दिनों में हुई मौतों की बात करें तो सुनामी दिखती है लाशों की। कोरोना संक्रमण से गंभीर तौर पर प्रभावित युवाओं और सामान्य नागरिकों की मौत सही समय पर उचित इलाज और मेडिकल सुविधा ना मिलने से हुई है। देश का कोई राज्य, जिला-गांव अब भी कोरोना संक्रमण से शायद ही बचा हो ,ये मानना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, मौजूदा हालात में। क्योंकि पूरे देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। बेसमय हुई मौतों की ये खबरें, हताश और निराशा से भरी है। रोते बिलखते लोगों की तसवीरें और लाशों का नदी के मुहाने पर उतराया जाना सबूत है कि सरकार ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से पूरी नहीं की, वरना ये लोग जिंदा कौम से मुर्दों में तब्दील नहीं होते !!!!
गंगा के किनारे लाशों के अंबार है जिन्हें दफना दिया गया, वो जब जिंदा होंगे तक शायद अमन, सोनू , शंकर, या संतोष के साथ-साथ शायद आमिर या जार्ज के रूप में अपनी पहचान के साथ जी रहे होंगे । लेकिन इस सिस्टम ने ताउम्र उनके पीछे घर के लोगों को इस दंश के साथ जीने के लिए मजबूर कर दिया है कि वो अपनों का मुंह भी देखना तो दूर अंतिम विदाई भी ठीक से नहीं दे पाये। ना जाने कितनी लाशों को चील और कुत्ते नोंच रहे है, साथ ही पानी में अब महामारी फैलने का खतरा गहरा गया है।
इन लाशों का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था पर भरोसा किया जहां आदमी की कीमत चुनाव में एक गुलाम से ज्यादा कुछ नहीं जिसे सिर्फ अपनी उंगली पर स्याही लगा कर बटन दबाना भर है। ये गलती इस सिस्टम की नहीं हमारी है जहाँ कोई व्यक्ति कभी शिक्षा और स्वास्थ्य पर सरकार नहीं चुनती है, यहां सरकार चुनने का तरीका है जात-पात और हिन्दू और मुसलमान।
लेकिन कोरोना ने अगर कोई क्रांति की है सकारात्मक, तो ये कि लोग अब स्वास्थ्य और शिक्षा पर बात करने लगे है, पर देर होने के बाद। 2014 में अपार जनसमर्थन लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, पर असल कहानी ये नहीं है कहानी शुरू हुई 2019 में जब सरकार दोबारा सत्ता में वापस आई नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। इस कोरोना की कहानी इसी साल से लिखी गई है शायद पड़ताल की परतें खुलनी बाकी है। तक्षकपोस्ट के पास कुछ ऐसे सबूत है जो इस तरफ इशारा करते है, की इन मौतों पर सब कुछ पहले से प्लान किया हुआ चलाया जा रहा है। लगातार इसपर कहानियां आती रहेंगी। लोगों को कोरोना के बहाने निशाने पर रखकर संविधान को अनदेखा करने की कोशिश जारी है। कल हुई गिरफ्तारियों पर कारवाई इसी तरफ इशारा करते है कि शक्तियों का प्रदर्शन किया जा रहा है।
आर्टिकल 21 क्या है – स्वास्थ्य कानून इसपर हमारा संविधान क्या कहता है।
स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग है और इसलिए स्वास्थ्य का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को गारंटीकृत मौलिक अधिकार के रूप में मिला है। हम इस अधिकार की मान्यता इस तथ्य के लिए देते हैं कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक उदाहरणों की एक श्रृंखला के माध्यम से, स्वास्थ्य के अधिकार को शामिल करने के लिए जीवन के अधिकार की अपनी टीका में इसे लागू किया है। काफी विस्तार से इसमें बताया गया है आपके सामान्य और महामारी के समय के अधिकारों को।
इसलिए बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य की देखभाल करना राज्य का कर्तव्य है और केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने COVID-19 महामारी के फैलने और बचाव के लिए अगर उचित उपाय और उसकी व्यवस्था में ध्यान दिया होता तो आज शायद वो लोग जिंदा होते जो बिना संसाधन के मरे है।
राज्य सुचारू रूप से काम करें ये देखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, और राज्यों को चलाने में केंद्र सरकार सहयोग करती है, राज्य विकास करके केंद्र को सहयोग करते है तब जाकर भारत कहलाता है विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र। जहाँ आपको स्वन्त्रता है मूल और मौलिक आज़ादी और अभिव्यक्ति की जिसके तहत देश के नागरिक अपने अधिकारों और अभिव्य के तहत सरकार से मांग कर रही है अपने लिए जीवन रक्षक दवाइयों के लिए। लेकिन वर्तमान में सब कुछ सीमित तरीके से किया जा रहा है जिसके कारण आज देश में ये स्थिति देखने को मिल रही है जहाँ ऑक्सीजन मांगने पर मुकदमे होते है, मदद करने पर कारवाई होती है।
पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना का शिकार हुए सैकड़ों शिक्षक
संविधान के इस खूबसूरत अधिकार के कारण देश के लोग दिल्ली के लोग सरकार से मांग कर रहे है, की अगर देश के पास समुचित प्रोडक्शन नहीं था फिर क्यों दूसरे देशों को वैक्सीन की खेप बेची गई ये तक्षकपोस्ट नहीं कह रहा खुद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक तौर पर ये बयान दिया है ।
ऑक्सीजन की कमी से बत्रा अस्पताल दिल्ली में 8 की मौत मरने वालों में एक डॉक्टर भी शामिल
क्या लापरवाही हुई ये भी देखना जरूरी है जिनपर सरकार की जबावदेही बनती है, सवाल पूछिये सरकार से
सभी घरेलू बाजार या विदेश से, जहां से भी संभव हो, केंद्रीय स्तर पर वैक्सीन उपलब्ध करवाने की कोशिश क्यों नहीं हो रही।
पूरे देश में तत्काल यूनिवर्सल वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने में क्यों आनाकानी हो रही है। गंभीरता क्यों नहीं है केंद्र सरकार के क्यों प्रधानमंत्री मोदी आत्मनिर्भर होने का राग अलाप रहे है।
देश में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए अनिवार्य लाईसेंसिंग के लिए क्यों देश की फार्मा कंपनीयों को बुलाया जा रहा है।
वैक्सीन के लिए बजट में आवंटित 35,000 करोड़ रु. खर्च क्यों नहीं किये जा रहे । 140 करोड़ की आबादी में मात्र 18 करोड़ वैक्सीन से कैसे वैक्सीन गुरु बने ???
सेंट्रल विस्टा जैसे प्रोजेक्ट की जरूरत से ज्यादा अभी मेडिकल सुविधाएं, ऑक्सीजन और वैक्सीन की है।
विपक्ष लगातार श्वेत पत्र की मांग कर रहा है स्वास्थ्य पर उसपर केंद्र स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में क्यों आनाकानी कर रहा है।
मूलभूत अधिकार मांगने पर अभिव्यक्ति पर क्यों पहरा क्यों लगाया जा रहा है, क्यों लोगों की गिरफ्तारी हो रही है कोरोना से संबंधित सवाल पूछने पर, क्या पोस्टर लगाने का अधिकार सिर्फ राजनैतिक पार्टियों को संविधान ने दिए है ??
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेरा ने आम लोगों की इन गिरफ्तारी के विरोध में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुझे गिरफ्तार करके बताइये मैं सवाल पूछुंगा की कई हमारे हिस्सें की वैक्सीन विदेशों को बेची गई। राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करके अपना आक्रोश जताया।
Arrest me too.
मुझे भी गिरफ़्तार करो। pic.twitter.com/eZWp2NYysZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 16, 2021
लगातार पूरे देश और सोशल मीडिया साइट पर लोग सवाल पूछने पर गिरफ्तार किए जाने की मांग कर रहे है। आर्टिकल 21 हमारे पास संविधान की वो ताकत है जिससे सरकारों को डर लग रहा है क्योंकि अभी संख्या मृतकों की समुचित रूप से नहीं आई है पर अगर अनुमान लगाये तो ये संख्या करोड़ पार कर चुकी है। लेकिन सरकार के दबाव में इसको छुपाने की भरपूर जुगत चल रही है। सत्ता में बैठी भाजपा दोषारोपण की राजनीति पर है विपक्ष याचना की स्थिति पर है और अति महत्वपूर्ण पद पर बैठे देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चुनाव के दौरों की अपनी थकान उतारने में व्यस्त है। क्योंकि देश तो आत्मनिर्भर बन चुका है।