वाराणसी: रिलायंस इंडस्ट्रीज की कार्यकारी अध्यक्ष और रिलायंस फाउंडेशन का सार्वजनिक चेहरा, नीता अंबानी को काशी हिन्दू विश्विद्यालय के मानविकी संकाय, में विजिटिंग प्रोफेसर बनाये जाने की खबर स्थानीय अखबारों में आती है।चर्चा का विषय शुरू होता है जिसमें विवाद भी निकल कर बाहर आता है क्यों ? नीता अंबानी को ये आग्रह किया गया। आजकल पूरे देश में जिस तरह से NDA-2 के खिलाफ गुस्सा है, और विरोध देखा जा रहा है। उसमें इस तरह की प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक है। क्योंकि देश का एक बड़ा तबका आज भी अपने बच्चों को उचित शिक्षा और परवरिश दे पाता है अपनी हाड़तोड़ मेहनत के बाद, क्योंकि देश में कुछ संस्थानों में शिक्षा का स्तर और माहौल विद्वान बच्चों को राह दिखाने के साथ देश के सर्वोच्च स्थान पर बैठ कर कुशल हाथों से संभाल रहे हैं। ऐसे में काशी हिन्दू विश्विद्यालय, जवाहरलाल नेहरू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसे उच्चस्तरीय शिक्षा के केंद्र का नाम ना लिया जाये तो बात अधूरी रह जायेगी।
शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार की मनमानी, तानाशाही, रवैये और बेतुके बयानों और भ्रष्टाचार से कहानियां भरी पड़ी है , ताज़ा हाल फिलहाल ये बयान की अब इंजीनियरिंग के लिए विज्ञान बैकग्राउंड का होना आवश्यक नहीं है !
ऐसा बोलकर मंत्री ने, एक अलग तरह के विवाद को ही जन्म दे दिया है। इन्ही सब वजहों के कारण BHU के द्वारा नीता अंबानी को विजिटिंग प्रोफेसर बनाने की पेशकश का पूरे देश में सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध शुरू हो गया। जिसके बाद BHU प्रशासन ने एक मीडिया विज्ञप्ति जारी करके कहा कि उन्होंने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया , कुलपति ने बयान दिया उनकी जानकारी में ऐसा कोई मामला नहीं है, दूसरी तरफ किसान आंदोलन से घबराई रिलांयस इंडस्ट्री की तरफ से भी बयान आया कि ये मामला फ़र्ज़ी है और मीडिया में गलत अफवाह है, अब सारा पेंच देखिये यहीं से शुरू होता है और झूठ बोलकर BHU ने अपना पल्ला झाड़ा। चिट्ठी की कॉपी इस बात की गवाह है कि काशी हिन्दू विश्विद्यालय और रिलांयस दोनों साफ झूठ बोल रहे है।
अखबार में छपी खबर में ये कहा गया नीता अंबानी की मौखिक सहमति के बाद 12 मार्च को विजिटिंग प्रोफेसर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। जिसमें उनसे अनुरोध किया गया है कि बीएचयू सहित पूर्वांचल की महिलाओं को वो आत्मनिर्भर बनने में मदद करें। हालिया नीता अंबानी ने एक प्लेटफार्म लांच किया है।
हमारे पास उस चिट्ठी की कॉपी है जो नीता अंबानी को भेजा गया है जिसमें CWSD की कोऑर्डिनेटर निधि शर्मा और संकाय के डीन कौशल किशोर मिश्रा के द्वारा बकायदा हस्ताक्षर और मुहर है जिसकी एक कॉपी कुलपति राकेश भटनागर को भी भेजी गई है।
कौन है कौशल मिश्रा
कौशल किशोर मिश्रा के बारे में कहा जाता है कि वो संघ के बैकग्राउंड के साथ अपने स्तर पर कुलपति बनने की जुगत में लगे हुए है, इसी क्रम में नीता अंबानी को बुलाने का मकसद ये था, अम्बानी परिवार और देश के सर्वोच्च ब्यूरोक्रेसी के साथ उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नजदीकियां जगजाहिर हैं। ऐसे में कुर्सी तक पहुंचने और पाने का सबसे सटीक उपाय उनको यहीं लगा हो शायद ! जिस तरह से देश के शिक्षा संस्थानों पर पद और व्यक्तियों को बांटे जा रहे है। उसके लिए अब योग्यता नहीं किसी खास विचारधारा का होना जरूरी है।
राकेश भटनागर के झूठ की वजह –
पूरे देश को टुकड़े टुकड़े जैसे नकली कहानियां देने वाले और सरकार के लिए एजेंडा सेट करने के लिए तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में जमीन तैयार करने के इनाम स्वरूप उनको काशी हिन्दू विश्विद्यालय का कुलपति बना कर भेज दिया गया । अब क्या इसमें भी कोई शक है कि कुलपति के बिना सहमति और संज्ञान के कौशल किशोर मिश्रा इतनी बड़ी हिमाकत कर सकते है?? सीधा मतलब है सर्वोच्च स्तर से ये करने को कहा गया होगा पर छींटाकशी होने के बाद हाथ पैर फूल गये। अभी मार्च के महीने में राकेश भटनागर का कार्यकाल खत्म हो रहा है तो बाकी कुछ कहने की जरूरत नहीं है। उनको भी अपने भविष्य के लिए कुर्सी का जुगाड़ करना है। अब बड़ा सवाल ये की कौशल किशोर मिश्रा पर क्यों अनुशासन तोड़ने पर कारवाई की नहीं होनी चाहिये ??
सब के बीच आखिर छिलालेदर प्रशासन और काशी हिन्दू विश्विद्यालय की छवि धूमिल तो हो गई।
BHU के जनसंपर्क के द्वारा जारी चिट्ठी में कोई हस्ताक्षर नहीं, क्योंकि वो भी झूठ बोल रहे है , क्योंकि हमारे पास उपलब्ध चिट्ठी ऑफिसियल लेटर हेड पर है।
सरकार की लगातार BHU में होने वाली नियुक्तियों को लेकर फ़ज़ीहत हो रही है , मौजूदा कुलपति के बाद नये कुलपति की दौर में लगे प्रोफेसर त्रिलोकी नाथ सिंह पर भारतीय वायु सेना सुरक्षा सौदों में भ्रष्टाचार में शामिल होने के पुख्ता सबूत है।