लखनऊ/इलाहाबाद/ दिल्ली: उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही शोर शराबा शुरू हो गया है। इसी कड़ी में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती को लेकर सरकार बड़ी जल्दी में अपने वोट बैंक पक्की करने की जुगत में है। घोषणाएं तो हो रही है पर सही तरीके से निपटारा होता नहीं दिख रहा। दरअसल इसबार एक बार फिर से विवाद उपजा है 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती को लेकर कभी, आरक्षण, कभी न्याय मांग रहे बच्चों पर लाठीचार्ज तो कभी सूची निकालने में देरी। इस बार मामला खबरों में है परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों के जबाव को लेकर-
शुरू से विवादित इस सहायक शिक्षकों की भर्ती में अब एक नये विवाद ने जन्म ले लिया हैं। जिस पर परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों में से कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इस पर समझौता होना भी नहीं चाहिए क्योंकि ऐसा करने से 1500 से ऊपर नौकरी की बाट जोह रहे उम्मीद के दिये एक झटके में बुझ जाएंगे। क्योंकि योग्यता परीक्षा में एक-एक नम्बर मिलना बड़ा कीमती माना जाता है। और यहीं से नया विवाद शुरू हुआ है।
क्या है विवाद, प्रश्न के सही उत्तर को लेकर विवाद उपजा है-
69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती योग्यता परीक्षा में शामिल अभियर्थियों से एक सवाल पूछा गया था, 2019 में आयोजित इस परीक्षा में कई विवादित सवाल पूछे गये थे जिनकी सेटिंग करने वाले को भी शायद पढ़ाई से कोई राब्ता नहीं रहा होगा। क्योंकि कई प्रश्नों के उत्तर चयन आयोग के हिसाब से सही थे, पर बेसिक शिक्षा परिषद और NCERT के हिसाब से गलत थे। विगत दो साल से नियुक्ति की राह देख रहे बच्चों को मंजिल आसानी से मिलती नहीं दिख रही। जिस काम को आयोग को निपटाने के लिए आगे आना चाहिए था उसे निपटाने के लिए बच्चों को कोर्ट का रुख करना पड़ा है।
इस प्रश्न के सही जबाव को आयोग ने गोरखनाथ की जगह मछोदरी नाथ सही माना है। जबकि नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक कौन है ये किसी से छुपा नहीं हैं।
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इस विवाद में बच्चों की तरफ से दाखिल हलफनामे को संज्ञान लेते हुये 2 हफ़्तों में जबाव दाखिल करने को कहा है योगी आदित्यनाथ सरकार को। इस मामले में अब 3 अगस्त को सुनवाई होनी है।
सवाल ये है कि नाथ सम्प्रदाय के जनक के तौर पर बाबा गोरखनाथ, का नाम ऐसा कौन है ?? जो नहीं जानता पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुर्सी तोड़ने वाले अधिकारियों को नहीं पता इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या बात होगी। योगी आदित्यनाथ को खुद आगे आकर इसका निपटारा करना चाहिए। एक सरकारी दस्तावेज के तौर पर योगी का वीडियो देखिये योगी क्या कह रहे है-
गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर महज एक मंदिर या पीठ नहीं शैव परंपरा, बौद्ध धर्म और योग साधना के लिए एक देवालय है, जिसकी नींव बाबा गोरखनाथ ने रखी थीं। कम ही लोग जानते है कि शैव परम्परा में बौद्ध और शिव के भक्त एक साथ बैठ कर साधना करते हैं।
ऐसे में कैसे योगी के निक्कमे मंत्रियों को और उनके अधीन अधिकारियों को जानकारी नहीं है। जब विवाद बढ़ा तभी इसका समाधान हो जाना चाहिए था, बिना किसी रुकावट के लेकिन शिक्षा मंत्री जब खुद अपने भाई को दलित बनाकर नौकरी में सिफारिश करने में दिलचस्पी ले तो फिर ये बच्चें तो भगवान भरोसे है। चुनाव की नैया में इनके कंधों पर चढ़कर वोट की जुगत में हज़ारों बच्चों को एक झटके से 1 नम्बर के आभव में बाहर कर दिया गया उनका क्या कसूर है जो ऐसी अघाई नौकरशाही प्रदेश को चला रही है।
मुख्यमंत्री इतना प्रचार और पैसा खर्च करके जब अपने सरकार के मंत्री और अधिकारियों को शिक्षित नहीं कर पा रहे तो प्रदेश का क्या हाल होगा सोचने की बात है। फिर ये झूठी PR और ब्रांडिंग क्यों कि जा रही हैं।
Thank you apne 69000 wrong answer key ka mudda uthaya