राकेश अस्थाना की निगरानी में ही सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स कनेक्शन मामले की जांच शुरू हुई थी।
गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना मोदी और शाह के करीबी माने जाते है, इसलिए 2018 में आलोक वर्मा के साथ तनातनी होने के बाद भी अस्थाना को बचाने के लिए सरकार ने अपने पत्ते खोल दिये थे।
उस समय के विवाद में अस्थाना से पहले आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई हुई।सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर रहे राकेश अस्थाना के साथ वर्मा का विवाद जगजाहिर होने के बाद उनको 23 अक्टूबर की बीच रात एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया गया लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनको फिर से बहाल कर दिया। कोर्ट ने यह दलील दी कि सरकार सेलेक्ट कमेटी से राय किए बगैर सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति में बदलाव नहीं कर सकती है।
क्या है पूरा मामला
सीबीआई ने मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ एक मामले को रफा-दफा करने के लिए 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद अस्थाना ने कई मामलों में अपने अधिकारी आलोक वर्मा के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए। मामला धीरे-धीरे सियासी बनता चला गया और विपक्षी दलों ने इसका ठीकरा सीधा प्रधानमंत्री मोदी पर फोड़ा। मामला कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने काफी अहम फैसला सुनाया जिसमें आलोक वर्मा अपने पद पर पुनः बहाल हुए लेकिन सेलेक्ट कमेटी ने उन्हें हटा दिया।
आज के समय इतने आरोप के बाद भी दिल्ली पुलिस की कमान राकेश अस्थाना को देने की वजह साफ है कि गुजरात का कंट्रोल मॉडल और अपने मनमाफिक काम करने के लिए मोदी और शाह को अपने लोग चाहिए।
सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्यों आखिर गुजरात के अपने चहेतों को ही सरकार आगे कर रही है, क्या देश मे अच्छे आईपीएस या आईएएस अधिकारियों की कोई कमी है ???