ब्रिटेन स्थित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) के प्रमुख खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह के मुख्य संचालक अवतार सिंह खांडा की लंदन में मौत हो गई है। खांडा, UK में तिरंगे का अपमान और लंदन में भारतीय उच्चायोग में हुई हिंसा का मुख्य जिम्मेदार था। यूके में कुछ समय से उठ रही खालिस्तान की मांग खांडा की ही देन है। रिपोर्ट के अनुसार वह ब्लड कैंसर के फर्स्ट स्टेज में था। जिससे उसकी मौत हुई। ये जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
सूत्रों ने कहा कि मार्च और अप्रैल के बीच 37 दिनों तक पुलिस से बचने में अमृतपाल सिंह की मदद करने वाले खांडा को जहर दिए जाने का संदेह है। हालांकि, मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार वह ब्लड कैंसर से पीड़ित था। उन्हें बर्मिंघम के सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
खांडा 19 मार्च को लंदन में यूके उच्चायोग के बाहर एक विरोध प्रदर्शन के दौरान भारतीय ध्वज को नीचे खींचने के पीछे का मास्टरमाइंड था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस घटना के संबंध में मुख्य आरोपी के रूप में खांडा और तीन अन्य अलगाववादियों की पहचान की थी।
अवतार सिंह खांडा पंजाब के मोगा जिले का रहने वाला था। 1988 में रोडे गांव स्थित भिंडरावाले के घर में खांडा का जन्म हुआ। पिता का नाम खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े होने की वजह से अवतार के घर पर अकसर सुरक्षा एजेंसी पूछताछ के लिए आती रहती थी। इसी वजह से उसका परिवार पंजाब में कभी पटियाला, कभी लुधियाना तो कभी मोगा शिफ्ट होता रहा। 1988 में खांडा के चाचा बलवंत सिंह खुकराना को सुरक्षा बलों ने एक एनकाउंटर में मार गिराया था। खांडा के पैदा होने के 3 साल बाद ही 3 मार्च 1991 को उसके पिता कुलवंत सिंह खुकराना का भी सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर कर दिया।
2012 में वहां शरण लेने से पहले वह 2007 में स्टडी वीजा पर यूके गया था। इसके बाद अवतार सिंह खांडा अकाली दल (मान) संगठन से जुड़ गया। इस संगठन से जुड़ने के कुछ दिनों बाद ही वह संगठन के यूथ विंग का उपाध्यक्ष बन गया। खांडा कथित तौर पर जनवरी 2020 में पाकिस्तान में पूर्व प्रमुख हरमीत सिंह की हत्या के बाद केएलएफ का नेतृत्व कर रहा था। 2015 में भारत ने ब्रिटिश सरकार को भारत विरोधी कुछ लोगों के नाम सौंपे थे। इनमें अवतार सिंह खांडा का नाम भी शामिल था। भारत ने खांडा को देशद्रोही बताते हुए कहा था कि वह कट्टरपंथी संगठन से जुड़ कर युवाओं को उग्रवाद की ट्रेनिंग दे रहा है।
ऐसा माना जाता है कि दीप सिद्धू की मौत के बाद वारिस पंजाब डे के प्रमुख के रूप में अमृतपाल सिंह को स्थापित करने में उसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अमृतपाल सिंह जो 37 दिनों से फरार था, ने 23 अप्रैल को पंजाब के मोगा के एक गुरुद्वारे में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। उसे असम की डिब्रूगढ़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां पापलप्रीत सिंह सहित उनके आठ सहयोगियों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत रखा गया है।