प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए दिन बीजेपी नेताओं की गुंडागर्दी और अपराध में संगलिप्त होने की ख़बरों के कारण चर्चा में बना रहता है। ताजा मामला एक NGO संचालक और कांग्रेस नेत्री और उसके माँ के साथ दुर्व्यवहार का है।
दरअसल मामला ये है कि कांग्रेस प्रवक्ता सृष्टि कश्यप वाराणसी में एक NGO ‘साकाश’ चलाती हैं। यहां कुत्तों की देखभाल की जाती है और गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था है। बीते 25 जनवरी को भाजपा के स्थानीय नेताओं की अगुवाई में भीड़ पहड़िया स्थित उनके शेल्टर होम के पास इकट्ठा हो जाती है और उनपर हमला कर देती है। इस भीड़ में बीजेपी के दूसरे नेता भी शामिल होते हैं। आस-पास के लोग भी इस घटना के चश्मदीद हैं। ख़ास बात ये है कि पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही।
I came to Varanasi to start my shelter where I look after strays, where I teach underprivileged kids, last week I was asked for 20 Lakhs rupees by the locals, when denied, my shelter was stormed by the people whose kids I taught led by the person in black car and a BJP flag. pic.twitter.com/CyPLnBpQX5
— The Protagonist (@_protagonist1) January 26, 2023
सृष्टि कश्यप इस घटना के बारे में बताती हैं कि, “मैं राजपूत हूं। एक राजभर डोमिनेटेड एरिया में रहती हूं। करीब 100 लोगों की भीड़ मुझपर और मेरी मां पर हमला करती है। हमारी मॉब लिंचिंग करने की कोशिश की जाती है। हमारे शेल्टर होम पर पत्थरबाजी हो जाती है। पुलिस के सामने मेरा कुर्ता फाड़ दिया गया। हम फटे हुए कपड़े में थाने गए। पुलिस 24 घंटे बाद तक मुकदमा दर्ज नहीं करती है।” ये सब कहते हुए उनका गला रुंध जाता है और वो खामोश हो जाती हैं।
सृष्टि कश्यप के मुताबिक़ बीते कुछ दिनों से कुछ लोग उनसे 20 लाख रुपए की रंगदारी मांग रहे थे। ये लोग उनके NGO के नाम इस्तेमाल कर धन उगाही करने की बात कर रहे थे। लेकिन जब सृष्टि ने इन दोनों ही बातों को माने से इंकार कर दिया तब जाके उनके साथ इस बदसलूकी की घटना को अंजाम दिया गया।
Welcome to ramrajya 🙏🏽@myogiadityanath @PMOIndia pic.twitter.com/J6pwwsgGYw
— The Protagonist (@_protagonist1) January 25, 2023
25 जनवरी को सृष्टि कश्यप के शेल्टर होम के पास पहले लोगों का जमावड़ा लगता है। जब ये सब देख सृष्टि और उनकी मां बाहर निकलती हैं तो उन्हें भीड़ द्वारा कहा जाता है कि ‘वो लोग इस जगह को छोड़ कर चले जाएं’। सृष्टि और उनकी मां के द्वारा विरोध जताने पर पत्थरबाजी शुरू कर दी जाती है। सृष्टि बताती हैं कि जिनके बच्चे कल तक हमारे पास निशुल्क पढ़ने आते थे, उनके हाथों में पत्थर थे और वो हमें मार रहे थे।
— The Protagonist (@_protagonist1) January 25, 2023
सृष्टि कश्यप बताती हैं कि इन सब के बीच ब्लैक कलर की एक स्कॉर्पियो से बीजेपी के दो लोकल नेता राजेश मिश्रा और भूपेंद्र मिश्रा वहां पहुंचते हैं। वो दोनों नेता भी उस जगह को खाली करने के लिए कहते हैं। बीजेपी के नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने उन्हें (सृष्टि और उनकी मां) को ‘उठाकर फेंक देने’ तक की धमकी दी। जैसे ही पुलिस को घटना की सूचना मिली, पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन वो भी इस परिवार को सुरक्षा देने के बजाए उनके खिलाफ बात करने लगी। सृष्टि कहती हैं कि ‘जब हमने पुलिस वालों से उनके नाम पूछे तो जवाब मिला कि ‘तू है कौन जो तूझे बताएं’। सृष्टि का कहना है कि जो भी पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे थे उनकी वर्दी पर कोई नाम प्लेट भी नहीं था।
वो आगे कहती हैं कि, पुलिस के सामने ही भीड़ करीब 100 लोगों की हो गई और पुलिस वालों के सामने ही बीजेपी नेता और उनके समर्थकों ने सृष्टि पर हमला कर दिया। पुलिस के सामने सृष्टि का कुर्ता भी फाड़ दिया गया। उसी हालत में जब वो रपट लिखवाने के लिए थाने पहुंची तो पुलिस मूकदर्शक बनकर उन्हें देखती रही और उनकी कंप्लेन नहीं लिखी। घटना के करीब 24 घंटे बाद मामलें के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर पुलिस के सामने जब इतनी बड़ी घटना हुई और वो भी दो महिलाओं के साथ तो पुलिस चुप क्यों रही? पुलिस ने हमला करने वालों को रोका तक नहीं, आखिर क्यों? क्या पुलिस इसलिए खामोश रही क्योंकि लोगों को उकसाने वाले बीजेपी नेता थे? इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध क्यों है? सृष्टि कश्यप घायल हालात में जब थाने पहुंचती हैं तो मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है। पूरी घटना के 24 घंटे बाद शिकायत दर्ज होती है, क्यों?
सृष्टि का आरोप है कि वो राजपूत हैं और पहड़िया इलाका जहां वो रहती हैं, वो राजभर डोमिनेटेड इलाका है। इस इलाके के लोग बीजेपी को सपोर्ट करते हैं। वो कहती हैं कि अगर मैं बीजेपी की नेता होती और कांग्रेस या सपा के कार्यकर्ताओं ने मारपीट की होती तो पूरी मशीनरी मेरे साथ खड़ी होती।
सवाल ये भी है कि जो प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की कानून व्यवस्था का ये हाल क्यों? सीएम योगी से लेकर पीएम मोदी तक यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकते लेकिन एक महिला के मॉब लिंचिंग की कोशिश की जाती है और पुलिस चुप है, ऐसा क्यों है?