हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों पर लगातार दबाव दिख रहा है। अडानी ग्रुप की कंपनी में जहां LIC का बड़ा निवेश है वहीं कई सरकारी बैंकों ने बड़े स्टार पर इस ग्रुप को लोन दिया हुआ है। कुल मिलाकर हजारों करोड़ रुपये का सरकारी पैसा अडानी की कंपनियों में लगा है। 24 जनवरी को अडानी ग्रुप में एलआईसी का निवेश 81,268 करोड़ रुपये था तो वहीं 27 जनवरी को इसका मूल्य घटकर 62,621 करोड़ रुपये रह गया। इस तरह करीब 18,647 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप की 7 लिस्टिड कंपनियों के शेयरों में 5 से 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इस वजह से गौतम अडानी की दौलत में करीब 6 अरब डॉलर यानी 48 हजार करोड़ रुपये की गिरावट आ गई। इस गिरावट के बाद फोर्ब्स की रियल टाइम बिलिनेयर्स लिस्ट के अनुसार गौतम अडानी की कुल दौलत 120.6 अरब डॉलर पर पहुंच गई है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर अब कांग्रेस पार्टी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ लग रहे आरोपों की सेबी और आरबीआई से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि अडानी ग्रुप के हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा किए गए विश्लेषण को लेकर गंभीरता से जांच की जरूरत है। ये जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे निकायों को करनी चाहिए क्योंकि वो देश की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं ।
जयराम रमेश ने कहा, ”हम अडानी ग्रुप और केंद्र सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध को पूरी तरह से समझते हैं। मगर, एक जिम्मेदार विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस पार्टी की ये ड्यूटी है कि वो जनहित के लिए सेबी और आरबीआई से वित्तीय प्रणाली के प्रबंधक के रूप में अपनी भूमिका निभाने और इन आरोपों की जांच करने का आग्रह करे।”
हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की कड़वी सच्चाई बताते हुए एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कुछ गंभीर खुलासे किए गए हैं। इस विषय पर मेरा बयान। जनहित में इसकी गहन जांच होनी चाहिए। pic.twitter.com/nYhBAAXSl5
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 27, 2023
कांग्रेस नेता ने कहा कि, ‘केंद्र की मोदी सरकार सेंसरशिप लागू करने की कोशिश कर सकती है। मगर, भारतीय व्यवसायों और वित्तीय बाजारों के वैश्वीकरण के काल में क्या हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्ट्स को आसानी से ‘दुर्भावनापूर्ण’ करार देकर खारिज कर दिया जा सकता है, जो कॉर्पोरेट ‘कुशासन’ पर ध्यान केंद्रित करती हैं’।
इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी किया था जिसमें बताया गया था कि अडानी ग्रुप की 7 प्रमुख कंपनियां जो शेयर बाजार में लिस्टेड हैं वो 85 फीसदी से ज्यादा ओवरवैल्यूज हैं। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई दशकों से मार्केट मैनिपुलेशन, अकाउंटिंग फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग करने का भी आरोप लगाया। हिंडनबर्ग ने कहा कि वो यूएस-ट्रेडेड बांड और नॉन इंडियन ट्रेडेड डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए अडाणी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजीशंस रखेगी। साथ ही अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के कर्ज पर चिंता भी जताई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी एंटरप्राइजेज के पास 8 सालों की अवधि के दौरान पांच चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर काम रहे थे, जो अकाउंटिंग से रिलेटेड डिस्क्रिपेंसी के बारे में कंपनी को आगाह कर रहे थे। इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि अडानी की कंपनियों पर पर्याप्त क़र्ज़ है जो पूरे ग्रुप को ‘वित्तीय तौर पर बहुत जोख़िम वाली स्थिति’ में डालता है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद अब गौतम अडानी ने रिसर्च कंपनी के दावों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके फ़र्म पर शेयरों में खुलेआम धांधली और अकाउंटिंग फ्रॉड करने के जो आरोप लगाए गए हैं वो ठीक नहीं हैं। अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट पर ‘दुर्भावनापूर्ण’ और ‘ग़लत जानकारी’ देने का आरोप लगाया है। अडानी ग्रुप अब हिंडनबर्ग रिसर्च पर क़ानूनी कार्रवाई के बारे में भी विचार कर रहा है।
Media statement – II on a report published by Hindenburg Research pic.twitter.com/Yd2ufHUNRX
— Adani Group (@AdaniOnline) January 26, 2023
अडानी ग्रुप के बयान पर हिंडनबर्ग ने भी जवाब दिया है और कहा है कि वे अपनी रिपोर्ट पर क़ायम हैं और क़ानूनी कार्रवाई का स्वागत करेंगे। हिंडनबर्ग ने अपने बयान में कहा, “अडानीने हमारे द्वारा उठाए गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया है। हमने अपनी रिपोर्ट में 88 सवाल पूछे थे। अब तक अडानी ने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया है। अगर अडानी गंभीर हैं तो उन्हें हमारे ख़िलाफ़ अमेरिका में केस फ़ाइल करना चाहिए जहां हमारे ऑफिस हैं। हमारे पास उन पेपर्स की लंबी सूची है जिनकी मांग हम ‘लीगल डिस्कवरी प्रोसेस’ में करेंगे।”
Our response to Adani: pic.twitter.com/6NcFKR8gEL
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 26, 2023
बता दें कि रिपोर्ट आने से लेकर अब तक अडानी ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन यानी मार्केट कैप में 2.37 लाख करोड़ रूपये की गिरावट देखी गई है। सबसे ज्यादा नुकसान अडानी टोटल गैस के मार्केट कैप को हुआ है। केवल दो दिनों के अंदर में इस शेयर में 76 हजार करोड़ रूपये की गिरावट देखी गई है। मौजूदा वक्त में अडानी समूह के 10 लिस्टेड कंपनियों के शेयर लाल निशान पर चल रहे हैं। जो कि अडानी ग्रुप के लिए अच्छी खबर नहीं है।