केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम पर पलटवार किया है। चिदंबरम ने घोषणा की थी कि लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर इंडिया गठबंधन नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और तीन नए आपराधिक कानूनों को रद्द कर देगा। चिदंबरम ने कहा था, “कानूनों की एक लंबी सूची है, जिनमें से पांच कानून पूरी तरह से रद्द कर दिए जाएंगे। मैं घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष हूं। मैंने इसका एक-एक शब्द लिखा है। सीएए को रद्द कर दिया जाएगा, संशोधित नहीं। हमने इसे स्पष्ट कर दिया है।”
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “संसद के पहले सत्र में सीएए को निरस्त कर दिया जाएगा।”
चिदंबरम पर तीखा हमला करते हुए, शाह ने कहा कि न तो कांग्रेस कभी सत्ता में आएगी और न ही कानून यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (सीएए), भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, कभी भी रद्द किए जाएंगे।
उन्होनें कहा, “कांग्रेस नेता उन कानूनों को खत्म करने की बात कर रहे हैं जो देश के आम लोगों को सशक्त बनाते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करते हैं। तुष्टिकरण की राजनीति से अंधी हो चुकी कांग्रेस पहले चरण में अपनी करारी हार देखकर बौखला गई है।”
यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार की प्राथमिकता भारतीय नागरिकता प्रदान करना और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख और पारसी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित करना है, शाह ने कहा कि सीएए संविधान के मूलभूत सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होनें कहा, “पी चिदंबरम, इन कानूनों को खत्म करने की बात करके देश की आजादी के उन निर्माताओं के सपनों का अपमान कर रहे हैं जिन्होंने इन कानूनों की वकालत की थी। सीएए देश का कानून है और यह सुनिश्चित करता है कि धार्मिक उत्पीड़न झेलकर भारत आए हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख और पारसी समुदायों के भाइयों और बहनों को नागरिकता देने से कोई नहीं रोक सकता।”
गृह मंत्री ने कहा, “कांग्रेस अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई, सिख और पारसी समुदायों को नुकसान पहुंचाने पर तुली हुई है। यह मोदी की गारंटी है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के प्रत्येक व्यक्ति को सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलेगी, और इसे कोई नहीं रोक सकता।”
तीन नए आपराधिक कानूनों पर शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 150 साल पुराने कानूनों को खत्म कर दिया और कानूनी व्यवस्था में भारतीयता को श्रेय दिया।
उन्होनें कहा, लेकिन कांग्रेस अभी भी अपनी गुलामी की मानसिकता को छोड़ना नहीं चाहती। इसलिए, ये लोग देश की मिट्टी में महकने वाले इन कानूनों पर आपत्ति कर रहे हैं, जबकि देश की न्याय प्रणाली खुले तौर पर उनकी प्रशंसा कर रही है।”
शाह ने कांग्रेस पर केवल तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दीवारों पर अपने लिए लिखी करारी हार को पढ़ने के बाद पार्टी के सबसे पुराने नेता अपना मनोबल खो चुके हैं।
उन्होनें कहा, “यही कारण है कि वे फिर से अपनी तुष्टीकरण नीति पर काम कर रहे हैं। पहले चरण के मतदान के बाद, कांग्रेस को स्पष्ट रूप से समझ में आ गया कि देश की जनता एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ कमल खिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए अब कांग्रेस अपना आखिरी प्रयास कर रही है।”
गृह मंत्री ने कहा, “देश की जनता 2014 और 2019 की ही तरह पहले से भी अधिक ताकत के साथ 2024 चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाने वाली है। कानूनों को बदलने के लिए सरकार में आना होता है और कांग्रेस का तो मुख्य विपक्ष तक बन पाना भी मुमकिन नहीं है। भारत की मूल संस्कृति और विचार को दबाने वाले कांग्रेस के पंजे से देश ने अपने आप को मुक्त कर लिया है।”