भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रमुख जांच एजेंसियों को “अपनी लड़ाई चुननी चाहिए”। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां देश में कम फैली हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एजेंसियों को उन मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के आर्थिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा हैं।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मुझे लगता है कि हमने अपनी प्रमुख जांच एजेंसियों को बहुत कम फैलाया है। उन्हें केवल उन अपराधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित हैं, और देश के खिलाफ आर्थिक अपराध हैं।”
सीजेआई ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पहले निदेशक की स्मृति में 20वें डीपी कोहली मेमोरियल व्याख्यान में अपने मुख्य भाषण के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जांच एजेंसियों के इन्वेस्टिव प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के साथ एक्यूरेसी और सटीकता बढ़ाने के लिए AI का फायदा उठाने की वकालत की। उन्होनें कहा कि जांच एजेंसियों को तलाशी, जब्ती की शक्तियों और प्राइवेसी के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना होगा।
उन्होंने कहा, “आपराधिक न्याय के दायरे में, खोज और जब्ती शक्तियों और व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के बीच नाजुक संतुलन कायम है और यह एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला है।”
सीजेआई ने देरी को न्याय वितरण में एक “बाधा” के रूप में चिह्नित किया और सीबीआई मामलों के निपटान के लिए एक बहु-आयामी रणनीति का आह्वान किया।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में कहा कि टेक्नोलॉजी के कारण अपराध का बैकग्राउंड बदल रहा। इससे एजेंसी के लिए कड़ी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई को भ्रष्टाचार निरोधक जांच एजेंसी के रूप में अपनी भूमिका से परे विभिन्न प्रकार के आपराधिक मामलों की जांच करने के लिए कहा जा रहा। यह सीबीआई पर अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरने को लेकर एक बड़ी जिम्मेदारी डालता है।
उन्होनें ने कहा कि मुझे लगता है कि हमने प्रमुख जांच एजेंसियों को बहुत कमजोर कर दिया है। उन्हें केवल उन मामलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के खिलाफ आर्थिक अपराधों से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी में बड़े पैमाने पर अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हैं। स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स से जांच एजेंसी को अपग्रेड किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना आवश्यक है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसे क्रिमिनल जस्टिस में एक ‘गेम चेंजर’ करार दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अभियुक्तों पर कानून के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है, और उनके जीवन और प्रतिष्ठा को बदल दिया जाता है और चोट पहुंचाई जाती है। देरी न्याय वितरण में बाधा बन जाती है। सीबीआई मामलों के धीमे निपटान से निपटने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति की आवश्यकता है ताकि उनके लंबित मामले न बढ़ें।”
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि व्यक्तिगत उपकरणों की “अनुचित” जब्ती हुई है और जांच अनिवार्यताओं और व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के बीच संतुलन पर जोर दिया गया है।
उन्होनें कहा, “छापे मारे जाने और व्यक्तिगत उपकरणों की अवांछित जब्ती के उदाहरण जांच संबंधी अनिवार्यताओं और गोपनीयता अधिकारों को संतुलित करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हैं।”
यह रेखांकित करते हुए कि अपराध का परिदृश्य “अभूतपूर्व गति” से विकसित हो रहा है, सीजेआई ने कहा कि जांच एजेंसियों को अपनी क्षमता का निर्माण करना चाहिए और मामलों को सुलझाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि जांच एजेंसियों को अपराध में आमूल-चूल बदलाव के साथ तालमेल बिठाना चाहिए।