कांग्रेस पार्टी द्वारा इंडिया ब्लॉक छोड़ चुकीं ममता बनर्जी को मनाने की कोशिशों के बीच राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार को लंबित मनरेगा फंड जारी करे। बता दें कि ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस की सरकार फंड जारी करने को लेकर केंद्र के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है।
राहुल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, “मैं आपको पश्चिम बंगाल में मनरेगा श्रमिकों की विनाशकारी दुर्दशा और न्याय के लिए उनकी निरंतर लड़ाई के बारे में लिख रहा हूं। ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल की मेरी हालिया यात्रा के दौरान, पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुझे उनके सामने आने वाले समस्याओं से अवगत कराया। अभ्यावेदन की एक प्रति इसके साथ संलग्न है। मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को केंद्रीय धन की रोक के कारण हमारे लाखों भाइयों और बहनों को मनरेगा के तहत काम और मजदूरी से वंचित कर दिया गया है।”
पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने मोदी को 10 फरवरी को लिखे अपने पत्र में कहा, “मुझे बताया गया है कि धन की कमी के कारण 2021 में कई श्रमिकों को काम पूरा करने के लिए भुगतान नहीं किया गया है।” गांधी ने कहा कि इसके अलावा, काम पाने वाले परिवारों की संख्या 2021-22 में 75 लाख से घटकर 2023-24 में 8,000 से कम हो गई है।
उन्होंने लिखा, “बड़े पैमाने पर हुई यह कटौती सबसे कमजोर वर्ग के लोगों– महिलाओं व एससी और एसटी परिवारों के लिए क्रूर रही है। मनरेगा के काम की कमी और लंबित मजदूरी ने कई लोगों को कठिन विकल्प के रूप में प्रवास का रास्ता चुनने के लिए मजबूर किया है। राहुल ने कहा कि 18 साल पहले संप्रग सरकार ने ग्रामीण समुदायों के लिए काम के अधिकार की गारंटी देकर सामाजिक और आर्थिक न्याय के नए रास्ते को चुना था। गांधी ने कहा कि कई लोगों के लिए, मनरेगा संकट के समय में एकमात्र सुरक्षा कवच है, और एक सुनिश्चित आजीविका स्रोत है।
उन्होंने पत्र में लिखा, ”इस संदर्भ में केंद्र सरकार से लंबित मजदूरी के भुगतान के लिए धन जारी करने की सुविधा प्रदान करने और काम की मांग पूरी करना सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं। मेरा मानना है कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय को बनाए रखने के लिए अपने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठना हमारा कर्तव्य है।”
ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि राज्य सरकार 21 फरवरी तक 21 लाख श्रमिकों के लंबित वेतन का भुगतान करेगी।
बनर्जी ने एक बयान में कहा था, “राज्य सरकार 21 लाख मनरेगा श्रमिकों का बकाया चुकाएगी। उनकी मजदूरी 21 फरवरी तक उनके बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाएगी।”
पिछले साल दिसंबर में बनर्जी ने एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था जिसने फंड में कथित देरी को लेकर पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
उस समय मुख्यमंत्री ने कहा था, “हमारे सांसदों समेत दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। मैंने पीएम से राज्य को देय धनराशि जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस पर केंद्र और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के बीच संयुक्त बैठकें होंगी।”
राज्य सरकार के साथ गांधी की एकजुटता की अभिव्यक्ति बनर्जी की उस घोषणा के कुछ सप्ताह बाद आई है जिसमे उन्होनें कहा था उनकी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अकेले आम चुनाव लड़ेगी।
बाद में बनर्जी ने गांधी की आलोचना करते हुए कहा था कि वह (कांग्रेस) 40 लोकसभा सीटें भी नहीं जीत पाएगी।
लगातार कटाक्षों के बावजूद कांग्रेस उनके गुस्से को शांत करने की कोशिश कर रही है। इस महीने की शुरुआत में, राहुल गांधी ने कहा था कि बनर्जी अभी भी इंडिया गठबंधन की सदस्य हैं।
इंडिया ब्लॉक को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बनर्जी, कुमार और अरविंद केजरीवाल समेत कई पार्टियों ने घोषणा की है कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे।