राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने अपने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को “असली एनसीपी” के रूप में मान्यता देने और पार्टी का प्रतीक ‘घड़ी’ आवंटित करने के चुनाव आयोग (ईसीआई) के फैसले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 6 फरवरी का चुनाव आयोग का फैसला पार्टी सुप्रीमो के लिए एक बड़ा झटका था।
हालांकि इस फैसले के अगले दिन चुनाव आयोग ने शरद पवार के एनसीपी गुट को एक नया नाम आवंटित किया – ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’था।
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में एनसीपी विधायकों की कुल संख्या 81 है। इसमें से अजीत पवार ने अपने समर्थन में 57 विधायकों के हलफनामे सौंपे, जबकि शरद पवार के पास केवल 28 हलफनामे थे। इसे देखते हुए आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को विधायकों का बहुमत समर्थन प्राप्त है और वह एनसीपी होने का दावा कर सकता है। चुनाव आयोग ने पार्टी की संगठनात्मक शाखा में शरद पवार गुट की बहुमत परीक्षण के अर्जी को खारिज कर दिया था। इसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
रविवार को पुणे में पत्रकारों को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा था कि चुनाव आयोग ने पार्टी को उसके संस्थापकों के हाथों से “छीन” लिया और इसे दूसरों को दे दिया।
कांग्रेस से अलग होने के बाद 1999 में एनसीपी की स्थापना करने वाले पवार ने कहा, “चुनाव आयोग ने पार्टी को उन लोगों के हाथों से छीन लिया जिन्होंने इसे स्थापित किया और इसे दूसरों को दे दिया; देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।”
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