चुनाव आयोग ने पार्टी संस्थापक और शरद पवार को झटका देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को “असली” एनसीपी घोषित कर दिया है। 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विवाद का निपटारा किया और अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। चुनाव आयोग ने अपने नए राजनीतिक गठन के लिए एक नाम का दावा करने और आयोग को तीन प्राथमिकताएं देने का एक बार का विकल्प प्रदान किया है।
जुलाई 2023 से दोनों गुटों के बीच विवाद चल रहा था जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए, जिससे एनसीपी में विभाजन हो गया। दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया था। आयोग ने अब अजीत पवार के गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है, इसे ‘असली’ एनसीपी घोषित किया है और इसे एनसीपी का प्रतीक ‘वॉल क्लॉक’ आवंटित किया है।
दरअसल पिछले साल अजित पवार ने बगावत करते हुए एनसीपी दो फाड़ कर दी थी। उन्होंने महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था। अजित के साथ कई विधायक भी सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद अजित ने पार्टी पर अधिकार का दावा किया था और अपने गुट को असली एनसीपी बताया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी अजिट गुट को असली एनसीपी करार दे दिया था। इस फैसले को शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहीं अब चुनाव आयोग ने भी अजित गुट को ही असली एनसीपी बताते हुए शरद पवार को बड़ा झटका दिया है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने कहा, “हमारे वकीलों द्वारा प्रस्तुत पक्ष को सुनने के बाद चुनाव आयोग द्वारा दिए गए फैसले को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। हमारी पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के मामले में चुनाव आयोग ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है, हम बहुत खुश हैं और हम उनको धन्यवाद देना चाहते हैं।”
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा, “हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं। किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण होता है। हो सकता है कि कल इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में चुनौती दी जाए। इसमें हमें कुछ कहना नहीं है। हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं।”
वहीं चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने पर सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “जो शिवसेना के साथ उन्होंने किया वही हमारे साथ किया। इस पार्टी का संस्थापक सदस्य एवं संस्थापक नेता एक ही व्यक्ति रहे हैं और वह शरद पवार हैं। माहौल कुछ और है, देश में ‘अदृश्य शक्ति’ है जो यह सब कर रही है। हम सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएंगे।”
एनसीपी-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी कहा, “वो तो जाने(उनके पक्ष में) ही वाला था, इसमें कोई नई बात नहीं है। कहा जाता है- घर का भेदी लंका ढाए। हम अभी भी अजीत पवार को दोषी मानते हैं। हम महाराष्ट्र में मजबूत हैं, हमें कोई डर नहीं है, हमारे पास शरद पवार हैं। सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”
शिवसेना(UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “मैं बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। एक व्यक्ति जिस पर 70,000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। आज वह बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अजीत पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। यह संविधान की अनुसूची 10 की भावना के खिलाफ है।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “लोकशाही में बहुमत का महत्व होता है। बहुमत आज अजीत पवार के पास है इसलिए चुनाव आयोग ने आज मेरिट पर निर्णय लिया है। लोकतंत्र में फिर से बहुमत सिद्ध हुआ है। मैं अजीत पवार को शुभकामनाएं देता हूं।”
चुनाव आयोग का निर्णय दोनों गुटों की कानूनी टीमों द्वारा छह महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद आया। विशेष रूप से, अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट की कानूनी टीम में मुकुल रोहतगी, नीरज कौल, अभिकल्प प्रताप सिंह, श्रीरंग वर्मा, देवांशी सिंह, आदित्य कृष्णा और यामिनी सिंह शामिल थे।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह निर्णय ऐसी याचिका की रखरखाव के निर्धारित परीक्षणों के बाद लिया गया जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल थे।
आयोग ने कहा, “विधायी विंग में बहुमत के परीक्षण को मामले की इस परिस्थिति में अनुकूल पाया गया, जहां दोनों समूहों को पार्टी संविधान और संगठनात्मक चुनावों के बाहर काम करते पाया गया है।”
चुनाव आयोग ने कहा कि “विधायी बहुमत के परीक्षण” ने विवादित आंतरिक संगठनात्मक चुनावों के मद्देनजर अजीत पवार के गुट को एनसीपी का चुनाव चिन्ह हासिल करने में मदद की।