उत्तराखंड अगले सप्ताह समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। ये खबर सूत्रों के हवाले से आई है। सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित एक समिति अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक रिपोर्ट सौंपेगी। दिवाली के अगले सप्ताह उत्तराखंड विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। इसमें समान नागरिक संहिता विधेयक को पारित कर उसे कानूनी दर्जा दिया जाएगा। विधानसभा में ये बिल पास होने के बाद समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगा।
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इस साल जून में, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मसौदा समिति की सदस्य और सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने कहा था कि उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो चुका है और जल्द ही इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, समान नागरिक संहिता देश के सभी नागरिकों पर लागू होगा। इस कानून के लागू होने से विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने समेत अन्य व्यक्तिगत मामलों से निपटने में सभी को एक जैसा कानून मानना होगा, फिर चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म या समुदाय का हो। सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड विधानसभा में जो मसौदा विधेयक पेश किया जाएगा, उसमें सरकार ने बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कही है। इसके साथ ही लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था की गई है।
देसाई ने कहा था, “मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है।” न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, “मसौदे के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी।”
सूत्रों ने यह भी कहा कि उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता लागू कर सकता है। इस कदम के साथ ही गुजरात समान नागरिक संहिता लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।