विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा है कि भारत सरकार ने पिछले महीने कतर की एक अदालत द्वारा आठ भारतीयों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की है। इससे पहले अक्टूबर में कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई थी। ये सभी लोग एक साल से अधिक समय से देश में हिरासत में हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “फैसला गोपनीय है। प्रथम दृष्टया एक अदालत है जिसने निर्णय दिया जिसे हमारी कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है। हम कतरी अधिकारियों के संपर्क में हैं।”
विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमें 7 नवंबर को आठ भारतीयों के साथ कांसुलर एक्सेस का एक और दौर मिला। हम परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं।”
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मंत्रालय ने कहा, “हम सभी कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखेंगे और हम सभी से मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलों में शामिल नहीं होने का आग्रह करते हैं।”
मालूम हो कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों – कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश को कतर खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त 2022 को दोहा से गिरफ्तार किया था। कमांडर पूर्णंदू तिवारी (रि.) को 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नौसेना के दिग्गजों पर इजरायल की ओर से एक पनडुब्बी कार्यक्रम से संबंधित जासूसी के आरोप लगे थे। कतरी अधिकारियों ने अतिरिक्त दावा किया है कि उनके पास इस मामले से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं। ये सभी लोग कतर की एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कंपनी का नाम दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है।
कतर सरकार ने 8 भारतीयों पर लगे आरोपों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में भेजे जाने से यह चर्चा है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। यह पूछे जाने पर कि उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस साल जनवरी में अपनी वीकली ब्रीफिंग में कहा था कि यह सवाल कतर के अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए।