तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा और बीएसपी सांसद दानिश अली समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने गुरुवार को संसद की आचार समिति की बैठक से वॉकआउट कर दिया। महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी पर “गंदे सवाल” पूछने का आरोप लगाया।
महुआ मोइत्रा ने कहा, “क्या यह एक आचार समिति है? बता दें कि कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा को पैनल के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।
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कांग्रेस सांसद और पैनल सदस्य एन उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, “सवालों की पूरी श्रृंखला से ऐसा लगता है कि वह (संसदीय आचार समिति के अध्यक्ष) किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं। यह बहुत, बहुत बुरा है। दो दिनों से हम उनसे कुछ बातें पूछ रहे हैं। वे उनसे (महुआ मोइत्रा) पूछ रहे हैं कि आप कहां यात्रा कर रही हैं? आप कहां मिल रहे हैं? क्या आप हमें अपना फ़ोन रिकॉर्ड दे सकते हैं? किसी भी नकद हस्तांतरण का कोई सबूत नहीं है।”
वहीं दुसरे पैनल मेंबर और जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद गिरिधारी यादव ने कहा, “उन्होंने महिला (टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा) से निजी सवाल पूछे। उन्हें निजी सवाल पूछने का अधिकार नहीं है, इसलिए हम बाहर चले आए।”
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रिपोर्ट्स के मुताबिक महुआ मोइत्रा ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों पर खुद को निर्दोष बताया और संसदीय समिति को बताया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप वकील जय अनंत देहाद्राई की खराब भावना से प्रेरित थे, क्योंकि उन्होंने उनके साथ अपने व्यक्तिगत संबंध तोड़ दिए थे।
वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, ”उन्होंने (महुआ मोइत्रा) जनता के सामने एक भ्रामक कहानी पेश करने की कोशिश की। वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि अनुसूचित जाति का एक व्यक्ति विनोद सोनकर आचार समिति का अध्यक्ष बन गया है और वे उनके खिलाफ अनावश्यक बयान दे रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं और (जय अनंत) देहाद्राई गवाह के रूप में वहां गए थे और महुआ मोइत्रा आरोपी के रूप में गयी थी। हालाँकि, वह साक्षात्कार देती रही और नैतिकता समिति के अंदर क्या हुआ, इसका हवाला देती रही। उन्होंने जनता के बीच गलत कहानी पेश करने की कोशिश की। आज जो हुआ वह संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन है।”
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तृणमूल नेता पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा है। उन्होंने पूर्व निर्धारित विजयादशमी कार्यक्रमों का हवाला देते हुए समिति के समक्ष उपस्थित होने की तारीख 5 नवंबर के बाद आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था। हालांकि, पैनल ने इनकार कर दिया और सांसद को 2 नवंबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा था।
आज की उपस्थिति से पहले एथिक्स कमेटी को लिखे दो पत्रों में मोइत्रा ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई से “जिरह” करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या एथिक्स पैनल इस तरह की कथित आपराधिकताओं की जांच करने के लिए सही मंच है? और कहा कि अगर यह किसी भी विभाग के किसी दस्तावेज़ पर भरोसा करता है, तो उसे इसकी एक प्रति भी दी जानी चाहिए और संबंधित विभाग से जिरह करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बुधवार को एक पोस्ट में शिकायतकर्ता भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अब सुकेश चंद्रशेखर (ठग) भी जिरह की मांग कर रहे हैं।”
एथिक्स पैनल के सामने मोइत्रा की उपस्थिति से पहले ये खबर भी सामने आई कि उनके संसद खाते को दुबई से 47 बार एक्सेस किया गया था। सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि संसद सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 14 विदेश यात्राएं कीं। मोइत्रा के ऊपर आरोप लगाया कि लोकसभा अध्यक्ष (ओम बिड़ला) के कार्यालय को इन यात्राओं से संबंधित आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
यह खुलासा हीरानंदानी के इन आरोपों के बीच हुआ कि टीएमसी सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए उन्हें अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए अपनी संसद लॉगिन जानकारी दी थी।
हीरानंदानी ने एथिक्स पैनल को सौंपे गए ‘शपथ हलफनामे’ में भी यह दावा किया। हालाँकि, मोइत्रा ने बार-बार आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि व्यवसायी हीरानंदानी को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा ‘शपथ पत्र’ लिखने के लिए मजबूर किया गया था।
मोइत्रा ने एक टीवी इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें हीरानंदानी से उपहार के रूप में केवल “एक स्कार्फ, लिपस्टिक और आई शैडो” मिलीं।
बता दें कि यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा द्वारा सवालों के बदले रिश्वत लेने पर ओम बिड़ला और फिर एथिक्स पैनल को पत्र लिखा। उन्होंने ये पत्र जय अनंत देहाद्राई के उस दावे पर लिखा, जिसमें उन्होंने (देहाद्राई) टीएमसी सांसद के रिश्वत लेने के संबंध में “अकाट्य सबूत” होने का दावा किया था। देहाद्रई: महुआ के पूर्व दोस्त हैं। हालांकि मोइत्रा ने सभी आरोपों का खंडन किया है। इस मामले में संसद की एथिक्स कमेटी के सामने निशिकांत दुबे और जय अनंत देहाद्रई पेश हो चुके हैं। दोनों अपने बयान दर्ज करा चुके हैं।