सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को उनके एनजीओ सबरंग ट्रस्ट से संबंधित 1.4 करोड़ रुपये के कथित फंड गबन मामले में अग्रिम जमानत देने को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सीतलवाड और उनके पति को मामले के संबंध में गुजरात पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए भी कहा। अदालत अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की उस दलील का जवाब दे रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
https://x.com/barandbench/status/1719633219363246442?s=20
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और पीके मिश्रा की पीठ ने कहा, “चार्जशीट अभी तक दायर नहीं की गई है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) का मानना है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति सहयोग नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि उत्तरदाता (सीतलवाड़ और उनके पति) जरूरत पड़ने पर जांच में गुजरात पुलिस का पूरा सहयोग करेंगे।”
उच्चतम न्यायालय की तीन जजों की पीठ ने सीतलवाड़ की उस याचिका का भी निपटारा कर दिया जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले से कुछ अंशों को हटाने की अपील की गई थी। तीस्ता ने 8 फरवरी, 2019 के फैसले में अग्रिम जमानत देते समय की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी।
गुजरात की ओर से की गई टिप्पणियों का जिक्र करते हुए पीठ ने आगे कहा, “यह कहना बेतुका है कि जमानत के चरण में की गई कोई भी टिप्पणी मामले की सुनवाई पर शायद ही कोई प्रभाव डाल सकती है। हमें और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”
मालूम हो की धन की कथित हेराफेरी का मामला अहमदाबाद अपराध शाखा ने एक शिकायत पर दर्ज किया था, जिसमें सीतलवाड और आनंद पर 2008 और 2013 के बीच अपने एनजीओ सबरंग ट्रस्ट के माध्यम से केंद्र सरकार से धोखाधड़ी से 1.4 करोड़ रुपये का अनुदान हासिल करने का आरोप लगाया गया था।