व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी ने संसद की आचार समिति के समक्ष एक हलफनामा दायर किया है जिसमें दावा किया गया कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने उनसे अपनी संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा किया था ताकि वह उनकी ओर से प्रश्न पोस्ट कर सकें। यह घटनाक्रम भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के इस दावे के कुछ दिनों बाद आया है कि टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने सदन में सवाल पूछने के लिए “रिश्वत” ली। दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए दावा किया था कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत का आदान-प्रदान हुआ था।
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हीरानंदानी के कबूलनामे के बाद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया के जरिए उनके लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने 2 पन्नों का एक ओपन लेटर भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने कई सवाल उठाए हैं। महुआ मोइत्रा ने हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और कहा कि यह आरोप व्हाइट पेपर पर हैं, ना कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पत्र में लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, पत्र (शपथपत्र) का कंटेंट एक मजाक है।
महुआ ने कहा कि कारोबारी हीरानंदानी की “कनपटी पर बंदूक” रखकर एक सफेद कागज पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए हैं। मोइत्रा ने अपने बयान में कहा, “दर्शन हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या एथिक्स कमेटी या किसी भी जांच एजेंसी ने तलब नहीं किया है। फिर उन्होंने यह हलफनामा किसे दिया है?”
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यह सवाल करते हुए कि क्या यह वास्तव में दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा है, मोइत्रा ने कहा कि यह एफिडेविट ना तो ऑफिशियल लेटरहेड पर है और ना ही नोटरी की मुहर है। साथ ही उन्होंने कहा कि ना ही ये सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, बल्कि इसे “चुनिंदा मीडिया हाउस को लीक किया गया।”
मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में प्रश्न पूछने के लिए “रिश्वत” लेने के “अपमानजनक” आरोपों पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्राई को कानूनी नोटिस भेजा था। उन्होंने कहा था कि यह आरोप कि उन्होंने “लोकसभा सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए किसी भी प्रकार का कोई भी लाभ” स्वीकार किया, “अपमानजनक, झूठे और आधारहीन हैं”।
इससे पहले, हीरानंदानी समूह ने भी आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि वह “राजनीति के व्यवसाय में शामिल नहीं है”।
हालाँकि अब दर्शन हीरानंदानी ने दावा किया है कि महुआ मोइत्रा “राष्ट्रीय स्तर पर जल्दी से अपना नाम बनाना चाहती थीं” और उन्हें “उनके दोस्तों और सलाहकारों ने सलाह दी थी कि प्रसिद्धि का सबसे छोटा रास्ता पीएम नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला करना है”।
हीरानंदानी ने दावा किया कि मोइत्रा ने “अडानी को निशाना बनाकर प्रधानमंत्री को बदनाम और शर्मिंदा करने का प्रयास किया।”
हीरानंदानी ने कहा, “उन्होंने सांसद के रूप में अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ साझा की, ताकि मैं उन्हें जानकारी भेज सकूं और वह संसद में सवाल उठा सकें। मैं उनके प्रस्ताव के साथ गया।”
हीरानंदानी समूह के CEO दर्शन हीरानंदानी ने दावा किया कि इस काम में महुआ मोइत्रा की मदद सुचेता दलाल, शार्दूल श्रॉफ और पल्लवी श्रॉफ कर रहे थे। इनके अलावा, महुआ की मदद कांग्रेस नेता शशि थरूर और पिनाकी मिश्रा ने भी की। दर्शन हीरानंदानी के मुतबिक, महुआ ने इस काम में विदेशी पत्रकारों से भी सहायता ली, जो FT, NYT और BBC से जुड़े थे, लेकिन इनके साथ-साथ कई भारतीय मीडिया हाउसों से भी महुआ मोइत्रा संपर्क में थीं।
उन्होंने दावा किया कि महुआ मोइत्रा ने “मुझसे लगातार मांगें कीं और मुझसे कई तरह की मदद मांगी… जो मांगें की गईं और जो मदद मांगी गई, उनमें उन्हें महंगी विलासिता की वस्तुएं उपहार में देना, दिल्ली में उनके आधिकारिक रूप से आवंटित बंगले के नवीनीकरण में सहायता प्रदान करना, यात्रा व्यय, छुट्टियां आदि शामिल थीं।”
हीरानंदानी ने आगे दावा किया कि उन्हें लगता है कि मोइत्रा उनका “अनुचित फायदा” उठा रही हैं और उन पर काम करने के लिए “दबाव” डाल रही हैं।
हीरानंदानी ने कहा कि वह हलफनामा दाखिल कर रहे हैं क्योंकि मामला “सीधे तौर पर उनसे जुड़ा है और यह एक राजनीतिक विवाद बन गया है” क्योंकि मामला अब संसदीय विशेषाधिकार समिति और न्यायपालिका के सामने रखा गया है।
इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट में सांसद महुआ मोइत्रा मामले की सुनवाई टल गई है। अब इस मामले में 31 अक्टूबर को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट को मानहानी मामले में सुनवाई करनी थी। इन सब के बीच महुआ के वकील ने अपना नाम वापस ले लिया है। इस मामले की सुनवाई के स्थगित होने का मतलब ये हुआ कि यथास्थिति बनी रहेगी, यानी कि मीडिया और सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी खबर चलाने पर रोक नहीं है।
अदालत में मोइत्रा के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि एक बिजनेसमैन ने हलफनामा दायर किया है और इसे कल सभी मीडिया संस्थानों में प्रसारित किया गया। उस पर तुरंत रोक यानी निषेधाज्ञा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संसद में मुखरता से अपनी आवाज उठाती रही हैं। उन्होंने इस केस से जुड़े 61 सवाल उठाए हैं। हालांकि सुनवाई के दौरान जय अनंत देहाद्राई ने कहा कि मुझे कल गोपाल शंकर नारायण ने फोन किया और मुझ पर दबाव बनाया। मेरे पास आधे घंटे की रिकॉर्डिंग है। गोपाल शंकर ने फोन पर मुझसे कहा कि अगर वो डॉग थेफ्ट में सीबीआई केस वापस ले लें तो कुत्ते को वापस दिला देंगे।
वहीं इस मामले का खुलासा करने वाले बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने हीरानंदानी द्वारा दिए गए शपथपत्र के बाद कहा कि देश की सुरक्षा एवं संसद की गरिमा मेरे लिए सर्वोपरि है। सत्यमेव जयते।
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सुचेता दलाल ने ट्वीट कर कहा है कि मैं व्यक्तिगत तौर पर महुआ मोइत्रा को नहीं जानती हूं। हालांकि मैंने उनके कुछ ट्वीट जरूर रीट्वीट किया है। मैं पल्लवी श्रॉफ को भी नहीं जानती हूं। शार्दूल श्रॉफ को लेकर उन्होंने लिखा है कि मैं काफी दिन पहले संपर्क में थी।
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मालूम हो कि संसद की आचार समिति 26 अक्टूबर को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ “कैश-फॉर-क्वेरी” शिकायत पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय आनंद देहाद्राई की सुनवाई करेगी। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी की ओर से संसद में “सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने” का आरोप लगाया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दुबे की शिकायत को लोकसभा की आचार समिति को भेज दिया था। लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष भाजपा सदस्य विनोद कुमार सोनकर हैं।
इस मामले को लेकर बीजेपी सांसद ने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री (MoS) राजीव चंद्रशेखर को भी एक पत्र लिखा था, जिसमें यह निर्धारित करने के लिए एक जांच पैनल गठित करने की मांग की गई थी कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं।