सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सनातन धर्म पर टिप्पणियों को लेकर तमिलनाडु सरकार के मंत्रियों उदयनिधि स्टालिन, ए राजा और 12 अन्य को नोटिस जारी किया। अदालत ने उदयनिधि स्टालिन की “सनातन धर्म को मिटाओ” टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कुल 14 पक्ष शामिल किये गये हैं। इनमें तमिलनाडु सरकार के विभिन्न विभाग, डीजीपी, पुलिस आयुक्त, सीबीआई और अन्य शामिल हैं।
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कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार, उदयनिधि स्टालिन, सीबीआई, ए राजा और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हालांकि, SC ने इसे हेट स्पीच मामले से जोड़ने से इनकार कर दिया है।
वहीं इस मामले पर डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, “एक याचिका दायर की गई थी और वे स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। स्पष्टीकरण जाने दीजिए… मामला अदालत के समक्ष है, हम उनसे (केंद्र सरकार) पूछेंगे कि ‘सनातन धर्म’ क्या है? क्या यह सभ्य समाज में समभाव की बात करता है या पुरानी बर्बर पद्धति की बात करता है? उन्हें समझाने दीजिए। हम अदालत को जवाब देंगे…”
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने 2 सितंबर को सनातन धर्म की तुलना “डेंगू” और “मलेरिया” से करने के बाद विवाद खड़ा कर दिया था और कहा था कि इसका न केवल विरोध किया जाना चाहिए, बल्कि “उन्मूलन” भी किया जाना चाहिए।
‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है।
उन्होंने कहा था, “कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें ही खत्म किया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे खत्म करना है। इसी तरह हमें सनातन को खत्म करना है।”
सत्तारूढ़ डीएमके सरकार में युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, “सनातन का विरोध करने के बजाय, इसे खत्म किया जाना चाहिए। सनातन नाम संस्कृत से है। यह सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है।”