इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हिंदू पक्ष के मामले की स्थिरता को चुनौती दी गई थी। पांच हिंदू महिला उपासकों ने ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी। जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Allahabad High Court dismisses the Muslim side's plea challenging maintainability of five Hindu women worshippers' suit filed in Varanasi Court seeking the right to worship inside Gyanvapi mosque in Varanasi pic.twitter.com/TJUAXBElY5
— ANI (@ANI) May 31, 2023
इस मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है।
It is a historic verdict. The court clearly has said that Anjuman Intezamia Mosque Committee's petition is not maintainable and dismissed it: Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in the Gyanvapi mosque case pic.twitter.com/7wvwzvRUZ3
— ANI (@ANI) May 31, 2023
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि यह हिंदू पक्ष की बड़ी जीत है। हम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर आदेश 7 नियम सीपीसी याचिका को खारिज करने के अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।
मालूम हो कि मुस्लिम पक्ष की याचिका ने वाराणसी में जिला अदालत के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि हिंदू उपासक का मामला विचारणीय है। जिला अदालत ने सितंबर 2022 में अंजुमन इंतेज़ामिया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू उपासकों के अनुरोध को चुनौती दी गई थी। इसके बाद अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनकी मूर्तियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित होने का दावा किया जाता है। मुस्लिम पक्ष की दलील इस याचिका के खिलाफ थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुस्लिम पक्ष ने कहा कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है।
अभी याचिका दायर करने वाली महिलाओं को चैत्र और वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन परिसर में पूजा करने की अनुमति है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करने से वाराणसी की अदालत को हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई का रास्ता मिल गया है। वाराणसी की एक सिविल कोर्ट 7 जुलाई को हिंदू उपासकों की याचिका पर सुनवाई करेगी।