सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में मणिपुर में भड़की हिंसा पर कई याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को अब तक किए गए सभी राहत और पुनर्वास प्रयासों पर एक नई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें राज्य सरकार से मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश प्रस्तुत करने को कहा गया था।
Supreme Court asks the government of Manipur to file a fresh status report on the violence between Meitei and Kuki communities in the state. Supreme Court posts the matter for hearing to the first week of July. pic.twitter.com/aX68cXvpyA
— ANI (@ANI) May 17, 2023
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा- “हमें मणिपुर HC के आदेश पर रोक लगानी होगी। यह पूरी तरह से तथ्यात्मक रूप से गलत है और हमने जस्टिस मुरलीधरन को अपनी गलती सुधारने के लिए समय दिया और उन्होंने ऐसा नहीं किया..हमें अब इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा।’
पूर्वोत्तर राज्य में हाल ही में हुई हिंसा को संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एक स्थिति रिपोर्ट दायर की गई है और राज्य में स्थिति में सुधार हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना राज्य का विषय है और शीर्ष अदालत यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक कार्यपालिका इस मामले पर आंख न मूंद ले।
इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि हमारा इरादा राज्य में शांति बहाल करना है। उन्होंने कहा कि जिला पुलिस और सीएपीएफ द्वारा संचालित कुल 315 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। राज्य सरकार ने राहत उपायों के लिए 3 करोड़ रुपये का आकस्मिक कोष स्वीकृत किया है।
मेहता ने कहा फंसे हुए लोगों को राहत शिविरों में लाया जा रहा है। तुषार मेहता ने कहा अब तक करीब 46,000 लोगों की मदद की जा चुकी है और लगभग 3,000 लोगों फ्लाइट से मदद की गई।
सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से चिन्हित गांवों में सुरक्षा को लेकर आवेदन किया गया है। मणिपुर के मुख्य सचिव और सुरक्षा सलाहकार इन गांवों में सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तत्काल समुचित कदम उठाएं। SC ने कहा- मणिपुर सरकार गर्मियों की छुट्टियों के बाद जब सुप्रीम कोर्ट खुलेगी तो स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट मैती समुदाय को जनजाति में शामिल किए जाने के मणिपुर हाईकोर्ट को लेकर मणिपुर में हुई हिंसा के मामले में सुनवाई कर रहा था। मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट के आदेश को लागू करने के किये हमें एक साल का समय दिया गया है।
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मांगने वाली मेइती जनजाति संघ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर उच्च न्यायालय ने पाया कि इस मुद्दे पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है और ये राज्य सरकार की लापरवाही है जिसने आज तक मेइती समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने के लिए केंद्र को सिफारिश नहीं भेजी।
मामले का निस्तारण करते हुए, उच्च न्यायालय ने मणिपुर सरकार को आदेश दिया था कि “अनुसूचित जनजाति सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने के याचिकाकर्ताओं के मामले पर शीघ्रता से, अधिमानतः चार सप्ताह की अवधि के भीतर विचार करें।”
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, पूर्वोत्तर राज्य के कई हिस्सों में हिंसक झड़पों में दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान पहली बार हिंसा भड़की। 19 अप्रैल को मणिपुर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य के मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में मार्च का आयोजन किया गया था।