कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आवंटन को हटाते हुए राज्य के आरक्षण कोटे में कुछ उल्लेखनीय बदलाव किए हैं। शुक्रवार को हुई एक कैबिनेट बैठक में, कर्नाटक सरकार ने आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 56 प्रतिशत कर दिया है। सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 फीसदी ओबीसी आरक्षण को भी खत्म करने का फैसला किया है। उन्हें अब 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी में ले जाया जाएगा। इस फेरबदल के बाद अब मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस कोटे से मुकाबला करना होगा, जिसमें ब्राह्मण, वैश्य, मुदलियार, जैन और अन्य शामिल हैं।
मालूम हो कि कर्नाटक में इसी साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं और माना जा रहा है कि ये फैसला इसी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के लिए 15 फीसदी, एसटी के लिए 3 फीसदी और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 32 फीसदी आरक्षण प्रदान किया जाता है, जो कुल मिलाकर 50 फीसदी होता है। हाल के दिनों में कई अन्य समुदायों ने सरकार से आरक्षण की मांग तेज कर दी थी। सरकार के पंचमसाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया था लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, सीएम बोम्मई ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों का कोटा समाप्त कर दिया जाएगा और बिना किसी बदलाव के ईडब्ल्यूएस समूह के 10 प्रतिशत पूल के तहत लाया जाएगा। मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला ईडब्ल्यूएस कोटा 10 फीसदी है।
सरकार ने यह भी फैसला किया है कि मुसलमानों का 4 प्रतिशत कोटा अब वोक्कालिगा (2 प्रतिशत) और लिंगायत (2 प्रतिशत) को दिया जाएगा, जिनके लिए पिछले साल बेलगावी विधानसभा सत्र के दौरान 2सी और 2डी की दो नई आरक्षण श्रेणियां बनाई गई थीं।
इसके अतिरिक्त, कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षण 15 से 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 3 से 7 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “चार प्रतिशत (अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण) को 2C और 2D के बीच दो भागों में विभाजित किया जाएगा। वोक्कालिगा और अन्य के लिए चार प्रतिशत आरक्षण बढ़कर अब छह प्रतिशत तो वहीं वीरशैव पंचमसाली और अन्य (लिंगायत), जिन्हें पांच प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था उन्हें अब सात प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।