प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई में अपने दो कार्यालय सहायकों और एक निजी व्यक्ति को एक मामले में गिरफ्तार किया। मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय के दो कर्मचारियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 28 मार्च तक केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया है। इन कर्मचारियों ने एक बैंक धोखाधड़ी मामले में गोपनीय दस्तावेज और बयान लीक किए थे और बदले में रिश्वत लिया था।
ये मामला तब दर्ज किया गया था जब ईडी अधिकारियों को गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने का पता चला था। बाद की जांच में एजेंसी के दो कार्यालय सहायकों की भूमिका का भी खुलासा हुआ। इन सहायकों ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्य आरोपी के ड्राइवर को दस्तावेज लीक किए थे। चालक द्वारा प्रत्येक दस्तावेज और बयान के लिए दोनों को 15,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच भुगतान किया गया था।
ईडी की वकील कविता पाटिल ने अदालत को बताया कि ईडी के “गुप्त कार्यालय दस्तावेज खरीदने” के लिए रिश्वत का भुगतान किया गया था ताकि मूलचंदानी के खिलाफ मामले में जांच एजेंसी के निष्कर्षों पर कड़ी नजर रखी जा सके और साथ ही उन गवाहों पर भी नज़र रखी जा सके जिन्हें समन किया जा रहा है।
बता दें कि यह मामला पुणे स्थित सेवा विकास सहकारी बैंक में 500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। पूर्व चेयरमैन अमर मूलचंदानी के ड्राइवर ने दो कार्यालय सहायकों को रिश्वत दी और उनसे गोपनीय दस्तावेज ले लिए। तीनों को गिरफ्तार कर जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया गया है।