कांग्रेस सांसद और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आज एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि राहुल गांधी कई मुद्दों पर स्पष्ट रूप से बोलने की कीमत चुका रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि, “राहुल गांधी सामाजिक मुद्दों पर, आर्थिक मुद्दों पर, और राजनीतिक मुद्दों पर बिना किसी डर या संकोच के खुलकर और स्पष्ट रूप से आपके माध्यम से भारत में बोलते रहे हैं। जाहिर है, वह इसकी कीमत चुका रहे हैं। ये भी जाहिर है कि यह सरकार घबराई हुई है। राहुल तथ्यों और आंकड़ों के साथ बोलते हैं, चाहे वो नोटबंदी पर हो, चीन को कथित क्लीन चिट पर हो, जीएसटी पर हो। वह लगातार आक्रामक हैं और खुले हैं। इसलिए यह सरकार उनकी आवाज दबाने, उनका गला घोंटने के लिए नई तकनीक खोज रही है।”
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, “राहुल विदेश जाते हैं, फर्जी राष्ट्रवाद के नाम पर उन्हें बोलने नहीं दिया जाता। जब वह वापस आते हैं तो विदेश में उनके भाषण संसद के अंदर उनके खिलाफ कार्रवाई का आधार बन जाते हैं। वह संसद में बोलते हैं, जो सबसे विस्तृत और खुले भाषण होते हैं, जब प्रधानमंत्री बोलते हैं और उन्हें विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाता है। जब वो विदेश से वापस आए और अवकाश के बाद जब सत्र शुरू हुआ, तो संसदीय इतिहास में उल्लेखनीय रूप से एक नया आधार देखने को मिलता है – सत्ता पक्ष हर दिन व्यवधान का सहारा लेता है, किसी के लिए संसद में बोलने के लिए एक पूर्व शर्त लगा देता है कि – उन्हें पहले माफी मांगनी चाहिए।”
LIVE: Congress party briefing by Shri @DrAMSinghvi and Shri @Jairam_Ramesh at AICC HQ. https://t.co/sFGwMNOJFr
— Congress (@INCIndia) March 24, 2023
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि किसी भी संसदीय लोकतंत्र में, वेस्टमिंस्टर या नहीं, आप सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस तरह का व्यवधान पाते हैं। यह सब एक पैटर्न का हिस्सा है। यह सब उन्हें रोकने के लिए एक पैटर्न का हिस्सा है। ये हैं –
A. क्योंकि वह निडर होकर और स्पष्ट रूप से बोलते हैं।
B. असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए, उन सवालों से ध्यान भटकाने के लिए जो यहां मेरे दोस्त रोज पूछते हैं।
C. उन लोगों के बीच एक भय मनोविकृति पैदा करने के लिए, एक संदेश भेजने के लिए जो इस सरकार पर सवाल उठाने की हिम्मत करते हैं।
उन्होंने कहा- “फिर समान रूप से एक कानूनी हिस्सा है। मैंने कल उसमें से कुछ आपके साथ साझा किया था। चलिए आज मैं आपको थोड़ा और बताता हूं। जब आप जल्दबाजी करते हैं, जब आपने पहले से सोच-विचार कर लिया होता है, जब आपने कुछ करने का फैसला कर लिया होता है, तो आप गलती पर गलती करते हैं। उदाहरण के लिए, उस तत्परता को लें जिसके साथ सब कुछ चला गया। मुझे आपको याद दिलाने की जरूरत है कि कुछ महीने पहले, उत्तर प्रदेश के एक अन्य राजनीतिक नेता के मामले में राज्य में अग्रणी पार्टी से संबंधित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उपचुनाव को स्थगित कर दिया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सेक्शन 103 के तहत सदस्यता रद्द करने का फैसला राष्ट्रपति के द्वारा होना चाहिए था। वहां भी राष्ट्रपति पहले चुनाव आयोग से सुझाव लेता है, फिर कोई फैसला होता है। लेकिन इस मामले में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात का भी भरोसा जताया कि सजा पर वे स्टे लगवा लेंगे और जब वो होगा तो जिस आधार पर सदस्यता रद्द की गई है, वो पहलू भी अपने आप ही खत्म हो जाएगा।
अभिषेक मनु सिंघवी ने आगे कहा कि, “जैसा कि मैंने कल आपको बताया था, कानून में एक प्रावधान बनाया गया है जिसे विशेष रूप से 202 कहा जाता है, जो कहता है कि अगर मैं कथित रूप से जगह एक्स में मानहानि करता हूं, इस मामले में कोलार, कर्नाटक, और अगर कोई मुझ पर गुजरात या बिहार में मुकदमा करना चाहता है, जैसा कि इस मामले में हुआ, तत्कालीन मजिस्ट्रेट को अनिवार्य रूप से एक प्रारंभिक जांच करनी चाहिए थी कि क्या उनके पास इसका अधिकार क्षेत्र है। इस बिंदु को गांधी के वकीलों ने लिया और फैसले में नोट किया लेकिन फैसला नहीं किया गया। बेशक, कोई जांच नहीं की जाती है क्योंकि एक जगह पर आगे बढ़ने की जल्दबाजी होती है जो शायद किसी भी क्षेत्राधिकार के बिना हो सकती है, अर्थात् सूरत, गुजरात।”
वहीं कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि, भारत जोड़ो यात्रा से बीजेपी घबराई हुई है। वो जानते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल कांग्रेस संगठन में नई उमंग जगाई है बल्कि पूरे देश में एक नया उत्साह, भविष्य का रास्ता दिखाया है। भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के कारण राहुल गांधी को कीमत चुकानी पड़ी है’।
बता दें कि कांग्रेस अभी कानूनी पहलू के मुताबिक राहुल के लिए राहत तलाश कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ वायनाड में उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने भी मंथन करना शुरू हो गया है। आयोग सूत्रों के मुताबिक अप्रैल में वायनाड में उपचुनाव करवाया जा सकता है। इस समय राहुल के पास कुछ विकल्प बचे हुए हैं। राहुल को सत्र न्यायालय में अपील दाखिल करनी है। वहां से राहत ना मिलने पर वे हाई कोर्ट में भी अपील दाखिल कर सकते हैं। अगर वहां भी राहत नहीं मिली तो वो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं।