कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के पास अडानी मुद्दे के सभी पहलुओं की जांच करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है और यह सरकार के लिए केवल “क्लीन चिट” पैनल होगा। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले की सच्चाई केवल जेपीसी जांच ही सामने ला सकती है।
‘हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत 100वां सवाल करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम अडानी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग को लेकर कोई सौदा करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार दिनों से कहा जा रहा है कि, ‘अगर विपक्ष JPC की मांग वापस ले… तो फिर BJP राहुल गांधी जी से माफी की मांग वापस ले लेगी। यह हमें नामंजूर है। इन दोनों बातों के बीच कोई रिश्ता नहीं है’।
Today is HAHK(Hum Adanike Hain Kaun)-34 in which we ask the 100th question directly of the PM on the Adani MahaMegaScam. He cannot simply dissociate himself from it.
Chuppi Todiye Pradhan Mantriji pic.twitter.com/SOk9Am7cUb
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 22, 2023
रमेश ने कहा कि पार्टी ने अडानी मुद्दे के संबंध में 5 फरवरी से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 99 सवाल किए हैं और एक अंतिम सवाल के साथ श्रृंखला का समापन किया है, जिसमें पूछा गया है कि क्या वह जांच एजेंसियों की विशाल सेना का उपयोग करके राष्ट्रहित में कार्य करेंगे?
उन्होंने दावा किया कि 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के अधिकार क्षेत्र में ये एजेंसियां औपचारिक रूप से नहीं आती हैं।
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए आरोप लगाया की, ‘”आपने इन एजेंसियों को विपक्ष, नागरिक समाज और स्वतंत्र व्यवसायों के खिलाफ तैनात करने में कभी संकोच नहीं किया। उन्हें जिन उद्देश्यों के लिए बनाया गया था, उनका उन कार्यों के लिए उपयोग करते हुए अब हम आपसे 1947 के बाद से देश में भ्रष्टाचार और क्रोनीज्म के सबसे ख़तरनाक मामले की जांच करने के लिए अपील करते हैं”।
उन्होंने कहा- ‘उच्चतम न्यायलय ने जो समिति बनाई वह अडानी केंद्रित समिति है। हम सवाल अडानी से नहीं, प्रधानमंत्री और सरकार से कर रहे हैं। इन सवालों के जवाब उच्चतम न्यायालय की समिति से नहीं मिल सकते। यह घोटाला स्टॉक मार्केट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री की नीयत और नीतियों से संबंधित हैं। हम कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी, चुप्पी तोड़िये। उच्चतम न्यायालय की समिति सरकार को दोषमुक्त करने की कवायद के अलावा कुछ नहीं है। यह क्लीनचिट समिति है। उन्होंने कहा, हम जेपीसी की मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं।”
रमेश ने आगे कहा कि, ‘‘मॉन्टेरोसा समूह, एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, क्रेस्टा फंड आदि जैसी अपारदर्शी ऑफशोर संस्थाएं “स्टॉक पार्किंग” की दोषी प्रतीत होती हैं। स्टॉक पार्किंग के तहत एक तीसरा पक्ष नियामकों के समक्ष वास्तविक मालिक के स्वामित्व या नियंत्रण को छिपाने के लिए शेयर रखता है। क्या सेबी कार्रवाई करेगा?
रमेश ने पूछा- ‘‘क्या धनशोधन के आरोपों को लेकर ईडी कार्रवाई करेगी? क्या एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) सिर्फ दिखावे के लिए नहीं बल्कि ईमानदारी से अपना काम करेगा? क्या सीबीआई कार्रवाई करेगी? क्या डीआरआई (राजस्व आसूचना निदेशालय) कार्रवाई करेगा?
रमेश ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट की समिति इस तरह के सवाल नहीं पूछेगी, वे इन सवालों पर विचार करने की हिम्मत नहीं करेंगे। उन्हें केवल एक जेपीसी के माध्यम से उठाया जा सकता है। जेपीसी के प्रमुख के रूप में एक बीजेपी का व्यक्ति होगा क्योंकि उनके पास बहुमत है लेकिन उसके बावजूद, विपक्ष के पास अपने मुद्दे उठाने का मौका होगा, सरकार की ओर से जवाब आएंगे और यह सब रिकॉर्ड में जाएगा।”
रमेश ने कहा कि 1992 में हर्षद मेहता घोटाले की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन किया गया था, जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और 2001 में वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान केतन पारेख घोटाले की जांच के लिए एक जेपीसी का गठन किया गया था।
रमेश ने कहा कि अडानी का मामला सरकार की नीतियों और मंशा से जुड़ा है और इसलिए हम ये सवाल पूछ रहे हैं और प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने को कह रहे हैं।
उन्होंने कहा- “सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल और जेपीसी के बीच एक बुनियादी अंतर है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल सरकार से सवाल नहीं पूछेगा, यह उसे क्लीन चिट देगा। यह सिर्फ प्रधानमंत्री को दोषमुक्त करने का एक प्रयास है और यह सरकार के लिए एक क्लीन चिट समिति होगी”।
बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में अडानी ग्रुप के खिलाफ फर्जी लेनदेन और शेयर-कीमत में हेरफेर सहित कई आरोप लगाये थे। गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्होंने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।