सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार और हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट पर जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा। बानो के वकील द्वारा मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किए जाने के बाद, CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करने के लिए एक तारीख आवंटित करेगी।
बानो की ओर से पेश अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा कि उनके द्वारा फरवरी में भी मामले का उल्लेख किया गया था लेकिन इसे अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इस पर सीजेआई ने कहा, “एक विशेष बेंच का गठन किया जाना है। मैं रजिस्ट्रार से जस्टिस रस्तोगी से पूछने और तारीख लेने के लिए कहूंगा। हम उनसे तारीख लेंगे”।
इस मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को अगस्त में गुजरात सरकार की 1992 की छूट नीति के तहत रिहा कर दिया गया था। इन दोषियों ने सजा में छूट के लिए आवेदन जिसे स्वीकार कर लिया गया था। इन 11 लोगों को 2008 में दोषी ठहराया गया था और बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के अपराधों के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
चूंकि दोषियों को रिहा कर दिया गया है, और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई हैं और पहले से ही सुनवाई की जा रही है। पहली याचिका पर 25 अगस्त 2022 को पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने नोटिस जारी किया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली बेंच कर रही है।
इन्हीं याचिकाओं में गुजरात सरकार ने एक हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि इन 11 दोषियों को अच्छे व्यवहार और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 14 साल की सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया।
बता दें कि जब मामलों को अंतिम रूप से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, तब न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने बिलकिस बानो की याचिका और उनके मामले में दोषियों की जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली कुछ अन्य याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।