नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई के समन को तीन बार टालने के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव 25 मार्च को जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई तेजस्वी से उन बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ करना चाहती है, जिन्हें जमीन के बदले नौकरी घोटाले में अर्जित धन का उपयोग करके खरीदा गया था। दिल्ली हाईकोर्ट में तेजस्वी यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि वह बिहार के उपमुख्यमंत्री को इस महीने गिरफ्तार नहीं करेगी। तेजस्वी यादव ने नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई समन पर रोक की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी।
तेजस्वी यादव ने अपनी याचिका में कहा था कि सीआरपीसी 160 का नोटिस लोकल पते पर दिया जा सकता है, ऐसे में सीबीआई का समन नियमों के खिलाफ है। सीबीआई से वर्तमान बिहार विधानसभा सत्र के समापन तक का समय मांगा है। तीन बार वह सीबीआई से यह अनुरोध कर चुके हैं क्योंकि नवनियुक्त डिप्टी सीएम के तौर पर सत्र में शामिल होना उनका दायित्व है।साथ ही तेजस्वी यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई अपनी याचिका में कहा था कि पूछताछ का नोटिस दिल्ली में दिया गया है जबकि वो पटना में रहते हैं।
सीबीआई ने कहा कि चार मार्च और 11 मार्च को पेश नहीं होने पर यादव को मंगलवार को पूछताछ के लिए पेश होने का नोटिस दिया गया था। मंगलवार को तीसरे नोटिस पर भी वह पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। सीबीआई ने 7 मार्च को मामले के संबंध में राजद सुप्रीमो और तेजस्वी के पिता लालू यादव से पूछताछ की थी। एक दिन पहले, लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी से उनके पटना आवास पर केंद्रीय एजेंसी ने पूछताछ की थी।
सीबीआई की जांच के बाद, प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले में हरकत में आ गया और 10 मार्च को नौकरी के बदले जमीन घोटाले में चल रही जांच के तहत तेजस्वी यादव के दिल्ली आवास पर तलाशी ली थी। ईडी ने लालू यादव की तीन बेटियों और अन्य राजद नेताओं के परिसरों सहित दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और बिहार में कई अन्य स्थानों पर भी छापे मारे।
सीबीआई पहले ही लालू यादव, राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर कर चुकी है। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को इस मामले में सभी को जमानत दे दी थी।
बता दें कि लैंड फॉर जॉब स्कैम का यह केस 14 साल पुराना है. उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे। दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनकी जमीन लिखवा ली थी। लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे. सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को केस दर्ज किया था। सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया।