दिल्ली सरकार की ‘फीडबैक यूनिट’ में कथित अनियमितताओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई ने जासूसी मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत सिसोदिया समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
इस मामले में आरोपियों पर संपत्ति का बेईमानी से गबन, आपराधिक साजिश, एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी, जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना, खातों में हेराफेरी और आपराधिक कदाचार के आरोप में केस दर्ज किया गया है। सिसोदिया पहले से ही दिल्ली शराब नीति मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कदम को ‘देश के लिए दुखद’ करार दिया। केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “पीएम की योजना मनीष के खिलाफ कई झूठे मामले थोपने और उन्हें लंबे समय तक हिरासत में रखने की है। देश के लिए दुखद!”
PM’s plan is to slap several false cases against Manish and keep him in custody for a long period. Sad for the country! https://t.co/G48JtXeTIc
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 16, 2023
मामला ये है कि दिल्ली सरकार में विजिलेंस डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के पास था जिसमें साल 2015 में फीड बैक यूनिट (FBU) का गठन किया गया था।तब इस यूनिट ने 20 अधिकारियों के साथ काम करना शुरू किया था। आरोपों में कहा गया है कि ‘फीडबैक यूनिट’ का इस्तेमाल विपक्षी दलों और अन्य व्यक्तियों की जासूसी करने के लिए किया गया था।
आरोप है कि FBU ने फरवरी 2016 से सितंबर 2016 तक राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की। यूनिट ने न सिर्फ बीजेपी के बल्कि AAP से जुड़े नेताओं पर भी नजर रखी। इतना ही नहीं यूनिट के लिए LG से भी कोई अनुमति नहीं ली गई थी।आरोप है कि यूनिट ने तय कामों अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी इकट्ठा की। सीबीआई को शुरुआती जांच में सबूत मिले हैं कि FBU ने राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा की। इसके बाद सीबीआई ने 12 जनवरी 2023 को इस मामले में खुफिया विभाग को एक रिपोर्ट पेश की और एलजी से भ्रष्टाचार के मामले में मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी। एलजी के बाद गृह मंत्रालय ने सीबीआई को जांच के लिए परमिशन दे दी थी।
2016 में सतर्कता निदेशालय के एक अधिकारी द्वारा शिकायत प्राप्त होने के बाद मामले की जांच शुरू की गई थी, जो ‘फीडबैक यूनिट’ प्रतिनियुक्ति का एक हिस्सा भी था।