मथुरा की एक लोकल कोर्ट ने शनिवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह विवाद को लेकर वाराणसी के ज्ञानवापी मामले की तरह ही यहां भी हिन्दू सेना के दावे पर ईदगाह का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 जनवरी तय की है। अमीन को इससे पहले संबंधित रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका पर यह आदेश दिया। सर्वे 2 जनवरी से होगा।
Court in Mathura seeks survey report by revenue dept official of Shahi Idgah mosque complex on January 20, according to counsel for petitioners who have sought its shifting claiming it was built at birthplace of Lord Krishna
— Press Trust of India (@PTI_News) December 24, 2022
वादी के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने कहा कि, “ठाकुर जी की 5,000 साल पुरानी जगह थी जिसमें अवैध रूप से शाही ईदगाह का निर्माण कराया गया। इसमें 1967 में भी मुकदमा दाखिल हुआ था जिसमें एक सोसाइटी का गठन किया गया था,उनके द्वारा समझौता किया गया जो अवैध था। हमने इसे निरस्त किए जाने की मांग की है”।
ठाकुर जी की 5,000 साल पुरानी जगह थी जिसमें अवैध रूप से शाही ईदगाह का निर्माण कराया गया। इसमें 1967 में भी मुकदमा दाखिल हुआ था जिसमें एक सोसाइटी का गठन किया गया था,उनके द्वारा समझौता किया गया जो अवैध था। हमने इसे निरस्त किए जाने की मांग की: शैलेश दुबे, याचिकाकर्ता, अधिवक्ता, मथुरा pic.twitter.com/7x48hKe5WU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 24, 2022
शैलेश दुबे ने आगे बताया कि 8 दिसंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता एवं उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की न्यायाधीश सोनिका वर्मा की कोर्ट में दावा किया गया था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़कर ईदगाह तैयार कराई गई थी। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास अदालत के समक्ष पेश किया है। साथ ही उन्होंने वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए इसे खारिज करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने वादी की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए अमीन द्वारा सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।
इस मामले में पहले 22 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी थी। इससे पहले भी कई वादी सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह की अदालत में भी यही मांग रख चुके हैं, लेकिन अब तक उन याचिकाओं पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
मालूम हो कि ज्ञानवापी मामले में 17 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका दी थी और उस मामले पर सुनवाई करते हुए सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।
ये पूरा विवाद क्या है?
– मथुरा में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया। समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है।
– ये पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी। अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है।
– माना जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था।
– 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया।
– साल 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहित कर ली थी। ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ।
– 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया।