केरल में विश्वविद्यालयों के चांसलर पद को लेकर गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान और केरल की पिनरई सरकार के बीच चल रहे विवाद में अब एक नया चैप्टर जुड़ गया है। केरल की विधानसभा में घंटों हुई चर्चा के बाद राज्यपाल को चांसलर पद से हटाने के लिए राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी लॉ (संशोधन) बिल पारित कर दिया है। इस विधेयक को विधानसभा में पहले ही पेश कर दिया गया था, जो अब पारित हो गया है।
Kerala Assembly has passed a bill to remove the Governor from the post of chancellor of universities in Kerala.
— ANI (@ANI) December 13, 2022
विपक्षी यूडीएफ ने ये कहते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया कि विधेयक के संबंध में उनके सुझावों की अनदेखी की गई है। बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूडीएफ ने कहा कि वह चांसलर के पद से राज्यपाल को हटाए जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इस पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और केरल हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से चयन किया जाना चाहिए। विपक्ष का कहना था कि वह सदन की कार्यवाही का बहिष्कार इसलिए कर रहा है, क्योंकि उसे डर है कि राज्य सरकार अपने पसंदीदा लोगों को इस पद पर नियुक्त कर केरल में विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट केंद्रों में बदलने का प्रयास कर रही है।
इस कानून बन जाते ही गवर्नर को केरल में विश्वविद्यालयों के चांसलर पद से हटाया जा सकेगा और उनकी जगह शिक्षाविदों की नियुक्ति की जा सकेगी। वैसे इस बिल को मंजूरी के लिए गवर्नर के पास ही भेजा जाएगा। गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने पहले ही इस बात का संकेत दे दिया है कि कानून में बिल पर हस्ताक्षर करने का कोई सवाल ही नहीं है। गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने पहले कहा था कि फिलहाल इस अध्यादेश को लेकर मैं कुछ नहीं तय करूंगा। उन्होंने कहा था कि अगर मुझे राज्य सरकार ने टारगेट करना चाहा तो मैं उस अध्यादेश को राष्ट्रपति को भेज दूंगा।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद क्या होगा?
इस विधेयक के अनुसार चांसलर पद के लिए पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है। राज्य सरकार कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान, कला, संस्कृति, मानविकी, साहित्य, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, समाज विज्ञान, कानून या लोक प्रशासन समेत विभिन्न क्षेत्रों के किसी शिक्षाविद या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त कर सकती है।
सरकार और गवर्नर के बीच इस वजह से बनी हुई है तकरार-
पिछले दिनों राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा मांगा था। राज्यपाल ने कुलपतियों को इस्तीफे का निर्देश देने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बताया था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर एमएस राजश्री की नियुक्ति रद्द कर दिया था। UGC के अनुसार, राज्य द्वारा गठित खोज समिति को कुलपति के पद के लिए कम से कम तीन योग्य व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन डॉ. राजश्री एम एस के मामले में केवल उनका ही नाम भेजा गया। इस आदेश के बाद से ही केरल सरकार और राज्यपाल के बीच तल्खियां बढ़ गई थी। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद कुलपतियों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया था कि कुलपतियों को निष्पक्ष न्याय से वंचित किया गया है।