संजय कुमार मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर के रूप में दिए गए तीसरे कार्यकाल विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार के 17 नवंबर 2022 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसमें संजय कुमार मिश्रा को एक साल का कार्यकाल विस्तार दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने अपनी याचिका में कहा है कि, ‘बार-बार कार्यकाल बढ़ाने से देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट हो रही है। केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रही है’।
जाया ठाकुर ने वकील वरुण ठाकुर और शशांक रत्नू के जरिये दायर अपनी इस याचिका में कहा है कि, ‘प्रतिवादी संख्या 2 (मिश्रा) के कार्यकाल का विवादित विस्तार देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है, इसलिए यह रिट याचिका दायर की गई है, जिसे न्याय के हित में स्वीकार किया जा सकता है’। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पष्ट आदेश दिया था कि मिश्रा के कार्यकाल को और विस्तार नहीं दिया जाएगा, लेकिन केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा विस्तार दिया। इसके बाद उन्होंने याचिका दायर की जिस पर एक नोटिस भी जारी किया गया और अभी भी मामला अदालत के समक्ष लंबित है।
याचिका में आगे कहा गया है कि इस रिट याचिका के लंबित रहने के बावजूद, प्रतिवादी संख्या 1 ने प्रतिवादी संख्या 2 को 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दिया जो दर्शाता है कि प्रतिवादी संख्या 1 का कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
मालूम हो कि ईडी की कार्रवाई को लेकर पिछले कई महीनों से देश में हंगामा मचा हुआ है। तमाम विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही है कि जांच एजेंसी ईडी, केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्ष के नेताओं को परेशान कर रही है। बीते कुछ सालों में विपक्ष के कई नेताओं को ईडी और अन्य जांच एजेंसियां ने समन भेजा है और उनसे पूछताछ भी की है एवं कई बड़े नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मामले में हुई पूछताछ के बाद कांग्रेस पार्टी ने ईडी को सरकार की कठपुतली बताया था।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, ‘ईडी ने साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के ने के बाद से 121 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। इन 121 नेताओं में से 115 विपक्षी दलों के नेता हैं। इसका मतलब ईडी के निशाने पर 95 फीसदी विपक्षी नेता रहे जबकि यूपीए सरकार के 2004 से 2014 यानी 10 साल के कार्यकाल में ईडी ने 26 राजनेताओं के खिलाफ जांच की थी और इसमें से 14 राजनेता विपक्षी दलों के थे। यह आंकड़ा 54 फ़ीसदी है’।
बता दें कि साल 2020 में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को विस्तार दिया गया था। साल 2021 में उन्हें दूसरा कार्यकाल विस्तार देने से पहले केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाने के संबंध में नियमों में संशोधन कर आदेश जारी किया था। पहले केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल 2 साल का होता था लेकिन इस संशोधन के बाद वे अपने पद पर 5 साल तक बने रह सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ 18 नवंबर को जस्टिस एस.के. कौल ने ईडी डायरेक्टर के लिए 5 साल तक के विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके एक दिन बाद संजय कुमार मिश्रा को ईडी प्रमुख के रूप में एक साल का नया विस्तार दिया गया था।