झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और कहा कि लीज आवंटित करने और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनी में निवेश करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका मेंटनेबल (सुनवाई योग्य) नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने सोमवार को यह फैसला दिया कि हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
Supreme Court allows the appeal of Jharkhand CM Hemant Soren & the state govt against the Jharkhand High Court order which had accepted the maintainability of a Public Interest Litigation (PIL) in connection with shell companies allegedly related to Soren and his associates. pic.twitter.com/cFbDaOA4RA
— ANI (@ANI) November 7, 2022
Supreme Court sets aside the Jharkhand High Court order in the matter.
— ANI (@ANI) November 7, 2022
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा ‘सत्यमेव जयते’
सत्यमेव जयते! pic.twitter.com/38JLdRLmsq
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) November 7, 2022
यह जनहित याचिका झारखंड हाई कोर्ट में शिवशंकर शर्मा नामक व्यक्ति ने दाखिल की थी, जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य माना था। उसके बाद इस याचिका को सुनवाई योग्य माने जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) दायर की थी। शीर्ष अदालत ने 17 अगस्त को शेल कंपनियों में निवेश और अवैध खनन पट्टा आवंटन मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए हेमंत सोरेन को अंतरिम राहत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट (CJI यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ) ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला आने तक हाई कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी थी।
Delhi | There have been 2 PILs filed seeking CBI & ED enquiries against Jharkhand CM Hemant Soren. One PIL was filed against holding assets more than income & other, related to illegal mining. There's no ongoing enquiry against CM Soren at present: A Rai, petitioner's advocate pic.twitter.com/r3pwIktUse
— ANI (@ANI) November 7, 2022
इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट में दाखिल पीआईएल की मेंटेनेब्लिटी पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि शिव शंकर शर्मा की तरफ से सीएम हेमंत सोरेन और उनके करीबियों पर आरोप लगाते हुए दायर की गई दोनों पीआईएल का मकसद सिर्फ डराना है। याचिकाकर्ता के पिता की सोरेन परिवार के साथ पुरानी रंजिश रही है। सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया गया था कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने एक्सटॉर्शन की 50 लाख रुपये की राशि के साथ गिरफ्तार किया गया है।
वहीं इस मामले में ईडी के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि खनन मामले में उसके पास पर्याप्त सबूत हैं, जिसके आधार पर याचिका सुनवाई पर जारी रखी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की दलील को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर ईडी के पास शेल कंपनियों में कथित निवेश और माइनिंग लीज आवंटन के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत हैं, तो वह खुद इसकी जांच कर सकती है। वह एक व्यक्ति की ओर से दाखिल पीआईएल की आड़ में जांच के लिए कोर्ट का आदेश क्यों चाहती है?
बताते चलें कि अभी हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अवैध खनन घोटाले में ईडी की तरफ से समन भेजे जाने के बावजूद 3 नवंबर को पूछताछ के लिए नहीं गए और बाद में उसी दिन पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जांच एजेंसी को खुली चुनौती दी और कहा, “मुझे ईडी का समन मत भेजिए, हिम्मत है तो सीधे गिरफ्तार करके दिखाइए”। हालांकि, बाद में CMO ऑफिस ने मुख्यमंत्री की व्यस्तता का हवाला देते हुए ED से पेशी के लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय मांगा।