हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज का पवित्र त्यौहार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार का प्रतीक है। भाई दूज पर्व के दिन भाई अपने बहन के घर जाता है और बहन अपने भाई के सिर पर तिलक करती हैं और उसके दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
हमारे पौराणिक कथाओं में इस उत्सव को मनाने के पीछे जो कहानी बताई गई है वो यमराज से जुडी हुई है। कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय तिथि के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और यमुना ने यमराज का तिलक किया था और आरती उतारी थी। यमुना ने अपने भाई यमराज से वरदान मांगा था कि इस दिन जो भी भाई अपने बहन के घर जाकर तिलक कराएगा वो अकाल मृत्यु और जीवन में आने वाली तमाम समस्याओं से दूर रहेगा। तब से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।
भाई दूज के त्यौहार को भारत के अलग अलग प्रदेशों में अलग-अलग नामों जैसे- ‘भैया दूज’, ‘भाऊ बीज’, ‘भतरा द्वितीया’, ‘भाई द्वितीया’, ‘भथरू द्वितीया’, ‘भाई फोटा’ से जाना जाता है।
भाइयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त कब है?
इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ बुधवार दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर शुरू हुआ है और अगले दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 18 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के मुताबिक़ भाई दूज का त्योहार गुरुवार को मनाया जाएगा।
गुरुवार को तिलक करने का शुभ समय करीब 1 घंटे 31 मिनट का है। शुभ समय दोपहर 11:15 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक का है।
भाईदूज मनाने की विधि-
बहनों को पूजा के लिए एक थाली में छोटा दीया, टीका, चावल, नारियल, बताशा, मिठाई और पान के पत्ते रखने चाहिए। बहन सबसे पहले अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है और उसकी सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। भाई बदले में अपनी बहनों को उपहार देते हैं।