केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया बुधवार सुबह 11 बजे से शुरू कर दी गई। भैयादूज के अवसर पर गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
बुधवार को श्री केदारनाथ भगवान् की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित किया गया है। गुरुवार सुबह केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। उसके बाद अगले 6 महीनों तक बाबा केदार की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में होगी।
केदार बाबा की डोली गुरुवार को धाम से प्रस्थान करने के बाद रात्रि प्रवास पर गुरुवार रात को रामपुर पहुंचेगी। 28 अक्टूबर को बाबा की डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में आराम करेगी और फिर 29 अक्टूबर को डोली ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान की जाएगी।
गुरुवार को ही यमुनोत्री धाम के भी कपाट बंद किए जाएंगे। सबसे अंत में 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम का कपाट बंद किया जाएगा।
बुधवार सुबह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने श्री केदारनाथ धाम का दर्शन किया। बुधवार को कपाट बंद होने के एक दिन पहले हजारों की तादाद में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत बुधवार को श्री केदारनाथ की पंचमुखी डोली की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई और फिर उन्हें मंदिर प्रांगण में लाया गया। परिक्रमा हो जाने के बाद डोली को मंदिर के अंदर प्रतिष्ठित कर दिया गया है।
श्री गंगोत्री धाम के कपाट को बुधवार, 26 अक्टूबर दोपहर 12:01 बजे बंद कर दिया गया है। कपाट बंद होने के अवसर पर हजारों तीर्थयात्री वहां मौजूद रहे। उसके बाद श्री गंगोत्री की डोली मुखबा गांव के लिए रवाना हो गई। श्री गंगोत्री की डोली भैया दूज के अवसर पर अपने मायके मुखबा (मुखीमठ) पहुंचेगी और शीतकालीन प्रवास में मुखबा स्थित गंगा मंदिर में ही पूजा-अर्चना की जाएगी।