वाराणसी: अंतरराष्ट्रीय “अहिंसा दिवस” और गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षा संकाय के अंतर्गत योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिक्षा केंद्र में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन 2 अक्टूबर को किया गया।
कार्यक्रम सचिव डॉक्टर चंद्रमणि ने कार्यक्रम का संचालन किया और इस कार्यक्रम के प्रयोजन को स्पष्ट करते हुए कहां की कोविड-19 के पश्चात वैचारिक प्रदूषण को दूर करने में यह अंतरराष्ट्रीय वेबीनार सहायक होगा। मुख्य अतिथियों का स्वागत, कार्यक्रम निदेशक प्रोफेसर सुशील कुमार गौतम ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, विश्व विद्यालय परिवार के मुखिया, अध्यापक गण एवं प्रतिभागियों का अभिनंदन वंदन किया।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति इंदिरा गांधी नेशनल ट्राईबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक ने अपने उद्बोधन में गांधी जी के जीवन में योग को स्पष्ट करते हुए बताया कि अपने पर नियंत्रण और संयम ने उन्हें राष्ट्रपिता बना दिया। उन्होंने सही मायने में योगी के रूप में गांधी जी को बताया और उन्हें जानने के लिए उनकी पुस्तकों का चिंतन करने की प्रेरणा दी, साथ ही कहा कि योग को जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में मॉरीशस से जुड़ी मॉरीशस मंत्रा पत्रिका की सम्पादिका, सीनियर जर्नलिस्ट, लेखिका श्रीमती सविता तिवारी ने कहा कि गांधीजी ने मॉरीशस में जो 8 दिन बिताए, वह वहां के लोगों के लिए मिसाल बन गया।
गांधीजी की सादगी और अहिंसा पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में दिखाई पड़ती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कहा हम अपनी विरासत को भूलते जा रहे हैं जिससे हमारी संस्कृति विलुप्त हो रही है। मानसिक रूप से, आर्थिक रूप से, राजनीतिक रूप से पराधीन होते जा रहे हैं, इसलिए इस तरह योगियों के जीवन पर कार्यक्रम उनकी शिक्षाओं पर मंथन दोहराया जाना चाहिए। यह देश की मिट्टी के योगी जिन्होंने योग को जिया और योग को पूरे विश्व में पहचान दिलाया , यही गांधी का दर्शन देश है। साथ ही डॉ सुनीता पांडे कुलसचिव ने भी अपनी बात रखी।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर ए पी त्रिपाठी प्रिंसिपल के के के एम एवं डायरेक्टर एजुकेशन जैन विश्व भारती लाडनू ने योग के सभी अंगों को गांधीजी के जीवन दर्शन में चरितार्थ करते हुए स्पष्ट किया कि ‘सत्य ही ईश्वर है’ और सत्य, अहिंसा, अस्तेयं, अपरिग्रह, ब्रम्हचर्य महात्मा गांधी के जीवन की आधारशिला रही जिससे वह महान योगी बन गए। कार्यक्रम के अन्य विषिश्ट वक्ताओं में प्रोफेसर सुशीम दुबे, नव नालंदा महाविहार यूनिवर्सिटी ने गांधी के जीवन दर्शन को सात्विक आहार से ऊर्जा का विस्तार बताया और विचारों को नियंत्रण करने से हृदय में प्रस्फुटित होने वाला ज्ञान सत्य होता है। उन्होंने गांधी को सत्य, अहिंसा के नायक और उनके जीवन के अनुभवों को स्पष्ट किया अगले वक्ता के रूप में प्रोफेसर किस्मत सिंह, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी आरा बिहार ने बताया कि गांधी का जीवन ही उनका संदेश है। गांधी दर्शन को समझने के लिए गांधी के जीवन को समझना होगा। उन्होंने बताया कि गांधीजी सत्यनारायण की साधना के लिए दरिद्र नारायण की साधना पर जोर देते थे।
वरिष्ठ पत्रकार श्वेता आर रश्मि, एक्सपर्ट नॉनवॉयलेंस, कम्युनिकेशन एंड एडल्ट एजुकेशन, लाइफ लोंग लर्निंग, नई दिल्ली ने गांधीजी के जीवन को आज के परिपेक्ष में अहिंसा के रूप में स्पष्ट करते हुये अहिंसा को आज के समय में महत्वपूर्ण बताया जिससे हमारे समाज में होने वाली अनेक बुराइयों लड़ाई ओ का अंत हो सकता है और युवा पीढ़ी को एक दिशा धारा प्राप्त हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सचिव डॉ चंद्रमणि ने किया तथा विभाग के अन्य अध्यापक गण डॉ सुनीता, डॉक्टर सुनील कुमार यादव, निशा यादव तथा पूजा सोनकर ने सहयोग प्रदान किया। इस वेबीनार में विश्वविद्यालय परिवार के वरिष्ठ शिक्षकगण, प्रोफेसर रेखा, डॉ कुंदन सिंह, प्रोफेसर निरंजन सहाय तथा डॉक्टर हरे राम पांडे ने इस वेबीनार की गरिमा अपनी उपस्थिति से बढ़ाई। साथ ही साथ कार्यक्रम में देश विदेश से 800 से भी अधिक प्रतिभागी वेबेक्स ऐप के माध्यम से जुड़े रहे और गांधी जी के विचारों से लाभान्वित हुये।कार्यक्रम का समापन में गांधीजी के जीवन की झलकियों पर निर्मित वीडियो प्रस्तुत किया गया तथा अंत में राष्ट्रगान के द्वारा इस वेबिनार का समापन हुआ।