26 मई 2014 को पहली बार देश का प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेन्द्र मोदी ने कई नए कार्यक्रमों शुरू करने की घोषणा की थी। उनकी इन्हीं घोषणाओं में एक महत्वपूर्ण घोषणा की स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाने की भी थी। इस अभियान के तहत एक लक्ष्य यह भी रखा गया था कि 20 19 में जब पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा होगा तब तक स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम के के सभी घोषित लक्ष्य हासिल कर लिए जायेंगे।
महात्मा गांधी की डेढ़ सौवीं जयंती मनाये हुए भी अब दो साल हो गए हैं, और जिस साल महात्मा गाँधी के जन्मदिन के मौके पर 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन शुरू करने की यह घोषणा की गई थी, उस बात को भी आज सात साल पूरे हो गए हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी हो जाता है कि सफाई के मुकाम पर हम और हमारा देश आज कहाँ पहुंचा है। हम जब महात्मा गांधी को उनके जन्मदिन पर याद करते हैं, तब देश की आजादी के आंदोलन में उनके योगदान के साथ ही उनके सर्वधर्म समभाव, अछूतोद्धार, एक भारत – एक राष्ट्र और स्वच्छता के बारे में उनके विचारों के लिए भी उनका स्मरण करते हैं।
महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें।
महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए, ही आज से सात साल पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। तब प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि इस अभियान का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में बापू की डेढ़ सौवीं जयन्ती पर स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत के वक़्त राजनीति के साथ ही , व्यापार – उद्योग , फिल्म , टेलीविज़न , कला , साहित्य , खेल और रंगमंच के क्षेत्र से जुडीं अनेक नामचीन हस्तियाँ जिनमें गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदला सिन्हा, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, कांग्रेस नेता शशि थरूर, उद्योगपति अनिल अम्बानी, फिल्म जगत से जुड़े कमल हसन, सलमान खान और प्रियंका चोपड़ा जैसे कई लोगों के नाम शामिल हैं।
इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, मकसद यही था कि आपने रोलमॉडल्स को देख कर और उनके इस कार्यक्राम से जुड़ा होने की बात को समझ कर देश की आम जनता भी ज्यादा से ज्यादा तादाद में इस राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान से जुड़े। मकसद यह भी था की देश के लोग एक – एक कर इससे जुड़ते चले जाएँ और यह देश के सफाई पसंद लोगों की एक अंतहीन श्रृंखला बन जाए. आम जनता को भी सोशल मीडिया पर, हैशटैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया।
इस सन्दर्भ में एक उल्लेखनीय बात यह भी है किकोरोना महामारी की वजह से लोगों में सफाई के प्रति रुझान बढ़ा है और लोगों की संवेदनशीलता भी बढ़ी है। इस सिलसिले को जारी रखना होगा। एक बात और 15वें वित्त आयोग ने जल और स्वच्छता क्षेत्रों के लिये किये गए वर्ष 2021-25 की अवधि के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपएकी राशि का ऐतिहासिक आवंटन किया है .इसे ग्राम पंचायतों के सन्दर्भ में गेम चेंजर की संज्ञा दी गई है।इसी बीच 27 सितम्बर से तीन अक्टूबर तक आजादी के अमृत महोत्सव सप्ताह के आयोजन का भी सिलसिला शुरू किया गया आजादी का अमृतमहोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कार्यक्रमों की एक श्रृंखला है।
प्रधानमंत्री ने 1अक्टूबर, 2021को स्वच्छता को लेकर एक और कार्यक्रम की शुरुआत की जिसका नाम और उद्देश्य है। कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) मिशन। यह देश का पहला केंद्रित राष्ट्रीय जल मिशन है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2019 तक देश को खुले में शौचमुक्त, स्वच्छ और साफ बनाने का लक्ष्य रखा गया। सरकार ने 5 साल में पूरे देश में 1.2 करोड़ शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा था ।
यह विश्व का सबसे बड़ा अभियान माना गया क्योंकि सरकार के ही ए सर्वे के मुताबिक देश की आधी से ज्यादा ग्रामीण आबादी (55.4%) खुले में शौच जाती है। शहरो में खुले में जाने वाले लोग 8.9% हैं। आज भी भारत में 62.6 करोड़ लोग खुले में शौच जाते हैं। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में 1.08 शौचालयों और 5.08 लाख सामुदायिक शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। इस अभियान के तहत सबसे बड़ा और प्रमुख लक्ष्य पांच साल में देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना था , वह लक्ष्य तो पूरा नहीं हो सका है।
इसके साथ ही मैला धोने की प्रथा को समाप्त करना भी इसके प्रमुख लक्ष्यों में एक था। लेकिन आज भी यह प्रथा पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है। कहना गलत नहीं होगा कि स्वच्छ भारत अभियान अपने लक्ष्यों में अभी तक पूरी तरह सफल तो नहीं हुआ है, लेकिन लोगो में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में काफी वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश का शहर इंदौर इस मामले में काफी आगे निकल गया है। इंदौर लगातार चौथी वर्ष भारत का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है। हलाकि अभी भी कुछ और प्रयास की आवश्यकता है, जो सिर्फ सरकारी प्रयास से मुमकिन नहीं, बल्कि इसके लिए लोगो के तरफ से पहल भी बहुत जरुरी है।
इस अभियान के तहत हर घर शौचालय योजना की शुरुआत की गई थी। इसके अंतर्गत हर घर या घर के निकट शौचालय के निर्माण के उद्देश्य से सब्सिडी प्रदान की गई थी। इसी के तहत शहरी क्षेतो में शौचालय बनाने के लिए 75% सब्सिडी प्रदान की जाती है। ग्रामीण क्षत्रों में ने शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये सरकार देती है। अजीब बात है कि सरकार इतनी कम राशि में एक शौचालय के निर्माण की उम्मीद करती है। ऐसे में शौचालय तो बनता नहीं कागजों का पेट भर कर यह पैसा आपस में बाँट लिया जाता है। 2 अक्टूबर 2014 को राजपथ पर इण्डिया गेट के सामने शुरू किए गए इस स्वच्छ में भारत अभियान में देश भर से आए लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया था। स्वच्छता के इस जन अभियान में लोगों ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया है फिर भी हालात पहले जैसे ही हैं वही ढाक के तीन बात वाली कहावत यहाँ भी चरितार्थ हो रही है।